Gangaur Vrat 2025 Date: मार्च में कब है गणगौर व्रत? यहां पढ़िए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
वैदिक पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर गणगौर व्रत (Gangaur Vrat 2025) किया जाता है। इस शुभ अवसर पर महादेव के संग मां पार्वती की पूजा करने का विधान है। साथ ही विधिपूर्वक व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से पति को दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को महादेव और मां पार्वती को प्रसन्न करने के लिए शुभ माना जाता है। इस शुभ तिथि पर सुहागिन महिलाएं सुख-शांति की प्राप्ति के लिए व्रत करती हैं और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करती हैं। साथ ही मनचाहा वर की प्राप्ति के लिए कुवारी कन्याएं भी व्रत (Gangaur Vrat 2025) करती हैं। इस पर्व को राजस्थान में बेहद उत्साह के मनाया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कब किया जाएगा गणगौर व्रत?
गणगौर व्रत डेट 2025 और शुभ मुहूर्त (Gangaur Vrat 2025 Date And Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 31 मार्च को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर होगी और तिथि का समापन अगले दिन यानी 01 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 42 मिनट पर होगा। ऐसे में 31 मार्च को गणगौर व्रत किया जाएगा।
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शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 40 मिनट से 05 बजकर 26 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 19 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 37 मिनट से 07 बजे तक
निशिता मुहूर्त -देर रात 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 12 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 38 मिनट पर
चन्द्रोदय- सुबह 07 बजकर 12 मिनट पर
चन्द्रास्त- रात 09 बजकर 01 मिनट पर
गणगौर व्रत पूजा विधि (Gangaur Vrat Puja Vidhi)
- गणगौर व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- इसके बाद चौकी पर भगवान शिव और मां पार्वती की प्रतिमा विराजमान करें।
- चंदन, रोली और अक्षत अर्पित करें।
- फूलमाला चढ़ाएं।
- मां पार्वती को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं।
- देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों का जप करें।
- आखिरी में भोग लगाकर प्रसाद का वितरण करें।
मां पार्वती के मंत्र
- ॐ गौरीशंकराय नमः
- ॐ उमामहेश्वराभ्यां नमः
- या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता
- ॐ नमः मनोभिलाषितं वरं देहि वरं ह्रीं ॐ गोरा पार्वती देव्यै नमः
- सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
- ॐ ह्रीं वाग्वादिनी भगवती मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु फट् स्वाहा
- हे गौरी शंकरार्धांगी
- ॐ पार्वतीपतये नमः
- ॐ साम्ब शिवाय नमः
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