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    Ganga Dussehra 2025: गंगा दशहरा पर इस समय करें स्नान और दान, जानिए पूजा से जुड़ी सभी बातें

    Updated: Thu, 05 Jun 2025 08:03 AM (IST)

    गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2025) का पर्व ज्येष्ठ माह में मनाया जाता है यह देवी गंगा के जन्म का प्रतीक है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से पापों का नाश होता है। इस साल गंगा दशहरा 5 जून यानी आज मनाया जा रहा है। इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है।

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    Ganga Dussehra 2025: गंगा दशहरा 2025 स्नान-दान का शुभ मुहूर्त।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गंगा दशहरा का पर्व हर साल ज्येष्ठ महीने में भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। यह देवी गंगा के जन्म का प्रतीक है। मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा की धरती लोक पर अवतरित हुईं थीं। ऐसे में इस मौके पर माता रानी की उपासना करने से वे खुश होकर भक्तों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं।

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    हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल गंगा दशहरा का पर्व (Ganga Dussehra 2025) आज यानी 5 जून को मनाया जा रहा है। वहीं, इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है, तो आइए शुभ मुहूर्त जानते हैं।

    गंगा दशहरा 2025 स्नान-दान का शुभ मुहूर्त (Ganga Dussehra 2025 Snan Daan Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, गंगा दशहरा पर स्नान-दान (Ganga Dussehra Shubh Muhurat) करने का शुभ मुहूर्त सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 42 मिनट तक है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।

    विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भी आप स्नान और दान कर सकते हैं।

    गंगा दशहरा का धार्मिक महत्व (Ganga Dussehra 2025 Significance)

    गंगा दशहरा का हिंदुओं के बीच बहुत ज्यादा महत्व है। यह जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी मां गंगा को समर्पित है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और अक्षय फलों की प्राप्ति होती है।

    इसके साथ ही इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितरों का पिंडदान और तर्पण करना भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

    गंगा दशहरा की पूजा विधि (Ganga Dussehra 2025 Puja Vidhi)

    इस दिन सुबह जल्दी उठें और गंगा स्नान करें। अगर आपके लिए गंगा नदी तक जाना मुश्किल है, तो घर पर ही स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें और मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करें। एक वेदी पर मां गंगा की प्रतिमा स्थापित करें। उन्हें फूल, अक्षत, चंदन, धूप और दीप चढ़ाएं। मां गंगा को खीर, मौसमी फल और घर पर बनी मिठाई का भोग लगाएं।

    इस दिन गंगा स्तोत्र, गंगा चालीसा का पाठ और देवी के वैदिक मंत्रों का जप करें। अंत में भक्तिभाव के साथ आरती करें। क्षमता के अनुसार वस्त्र, अन्न, धन व अन्य जरूरत की चीजों का दान करें।

    गंगा दशहरा के पूजा मंत्र (Ganga Dussehra 2025 Puja Mantra)

    • ॐ गंगायै नमः
    • गांगं वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम्। त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु माम्॥
    • गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।