Ganga Dussehra 2025: सिद्ध योग में मनेगा गंगा दशहरा, ज्योतिषी राकेश झा से जानिए डुबकी लगाने का शुभ समय
Ganga Dussehra 2025 ज्येष्ठ मास के शुक्ल दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाएगा। इस दिन उत्तरा फाल्गुनी और हस्त नक्षत्र के साथ वज्र योग भी रहेगा। मान्यता है कि इस दिन राजा भागीरथ के तप से मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं। ज्योतिषी राकेश झा के अनुसार गंगा दशहरा पर दान-पुण्य से समृद्धि आती है।

धर्म डेस्क, पटना। सनातन धर्मावलंबियों के ज्येष्ठ मास के सबसे प्रमुख पर्व गंगा दशहरा ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि पांच जून को मनाया जाएगा। इस दिन उत्तरा फाल्गुनी और हस्त नक्षत्र के संयोग के साथ वज्र योग भी रहेगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान राम के पूर्वज राजा भागीरथ के प्रयास और तप से प्रसन्न होकर पृथ्वी पर मां गंगा की धारा का अवतरण हुआ था। मां गंगा पृथ्वी पर शुद्धता और संपन्नता लेकर आई थीं।
प्रभु श्रीराम ने रामेश्वरम में इसी दिन शिवलिंग की स्थापना की थी। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को संवत्सर मुखी की संज्ञा दी गई है। इसमें स्नान और दान बहुत ही पुण्यप्रद माना गया है। स्मृति ग्रंथ के मुताबिक गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान एवं दान करने से दस महा पातकों (तीन कायिक, चार वाचिक व तीन मानसिक) के बराबर के पापों से मुक्ति मिलती है।
गंगा स्नान एवं पूजन शुभ मुहूर्त
- शाही स्नान- सुबह 04:59 बजे से 06:42 बजे तक
- सामान्य स्नान- सुबह 05:15 बजे से पूरे दिन
- गुलिक काल मुहूर्त: सुबह 08:24 बजे से 10:06 बजे तक
- चर-लाभ-अमृत मुहूर्त: सुबह 10:06 बजे से शाम 03:15 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:21 बजे से 12:15 बजे तक
समृद्धि और वंश वृद्धि का मिलेगा वरदान
पटना के ज्योतिषी आचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांग के हवाले से बताया कि इस दिन उत्तर फाल्गुनी एवं हस्त नक्षत्र का युग्म संयोग, सिद्ध योग एवं रवि योग का पुण्यकारी संयोग बन रहा है। इस दिन दान-पुण्य करने से संपन्नता आएगी।
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गंगा दशहरा के दिन सत्तू, पंखा, ऋतुफल, सुपाड़ी, गुड़, जल युक्त घड़ा के दान से आरोग्यता, समृद्धि और वंश वृद्धि का वरदान मिलता है। इस दिन स्नान के बाद दस दीपों की दान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस दिन गंगा ध्यान व स्नान से काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सर, ईर्ष्या, ब्रह्महत्या, छल, कपट, दूसरों की निंदा जैसे पापों से मुक्ति होती है।
गंगा की स्वच्छता का लें संकल्प
गंगा दशहरा के दिन गंगा को स्वच्छ रखने का संकल्प लें। मां गंगा की सबसे बड़ी पूजा उसकी निर्मलता को बरकरार रखने की है। यदि मोक्षदायिनी मां गंगा को हम स्वच्छ रख पाएंगे, तो वह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी जीवनदायिनी बनी रहेंगी।
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