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    Ganga Dussehra 2023: गंगा दशहरा पर पवित्र स्नान से होता है 10 बड़े पापों का नाश, जानिए इस दिन का महत्व

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Fri, 12 May 2023 12:32 PM (IST)

    Ganga Dussehra 2023 हिंदू धर्म में गंगा दशहरा व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन मां गंगा की उपासना करने से और गंगा स्नान करने से विशेष लाभ मिलता है।

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    Ganga Dussehra 2023: जानिए गंगा दशहरा पर स्नान का महत्व।

    नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Ganga Dussehra 2023: सनातन धर्म में गंगा दशहरा का विशेष महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष यह पर्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस विशेष दिन पर मां गंगा की उपासना करने से और गंगा स्नान करने से जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। किंवदंतियों में बताया गया है कि गंगा दशहरा के दिन ही मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं।

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    गंगा दशहरा 2023 तिथि (Ganga Dussehra 2023 Date)

    पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 29 मई को सुबह 11 बजकर 49 मिनट शुरू होगी और इसका समापन 30 मई को दोपहर 01 बजकर 07 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए गंगा दशहरा पर्व 30 मई 2023, मंगलवार के मनाया जाएगा।

    गंगा दशहरा 2023 शुभ संयोग (Ganga Dussehra 2023 Shubh Muhurat)

    गंगा दशहरा के दिन ज्येष्ठ मास का दूसरा बड़ा मंगल भी है। ऐसे में इस शुभ अवसर पर मां गंगा और हनुमान जी की उपासना करने से व्यक्ति को विशेष लाभ होगा। पंचांग में यह भी बताया गया है कि गंगा दशहरा के दिन हस्त नक्षत्र और सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। हस्त नक्षत्र पूर्ण रात्रि तक और सिद्धि योग 08 बजकर 55 मिनट तक मान्य होगा। माना जाता है इस अद्भुत संयोग में पूजा करने से साधक को धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

    गंगा दशहरा 2023 स्नान महत्व (Ganga Dussehra 2023 Importance)

    शास्त्रों में बताया गया है कि गंगा स्नान करने से व्यक्ति को रोग, दोष और विपत्तियों से मुक्ति मिलती है। लेकिन गंगा दशहरा के दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान करने से उन दस मुख्य पापों से मुक्ति मिल जाती है जो पुण्य प्राप्ति में अड़चने पैदा करती हैं। वह पाप- 3 दैहिक पाप, 4 वाणी पाप और 3 मानसिक पाप हैं। इसमें झूठ बोलना, अपशब्द बोलना, किसी का अहित करना, नास्तिक बुद्धि रखना इत्यादि शामिल है।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।