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    New Year 2025: भगवान गणेश के इन मंत्रों के साथ करें नए साल की शुरुआत, खुशियों से भर जाएगा जीवन

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 31 Dec 2024 06:06 PM (IST)

    सनातन धर्म में भगवान गणेश (New Year 2025) को कई नामों से जाना जाता है। इनमें एक नाम विघ्नहर्ता है। विघ्नहर्ता का आशय विघ्नों का हरना है। आसान शब्दों में कहें तो हर दुख को हरने वाले भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहकर भी संबोधित किया जाता है। अतः साधक दुखों से निजात पाने के लिए भगवान गणेश की पूजा-उपासना करते हैं।

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    New Year 2025: भगवान गणेश को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से अंग्रेजी कैलेंडर के नए साल की शुरुआत हो रही है। सनातन धर्म में हर शुभ कार्य की शुरुआत करने के समय सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। अतः नए साल के पहले दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाएगी। साथ ही मनवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रत भी रखा जाएगा। धार्मिक मत है कि भगवान गणेश की पूजा-उपासना करने से जीवन में व्याप्त सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। साथ ही आय, सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अगर आप भी भगवान गणेश की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो नए साल की शुरुआत भगवान गणेश के इन मंत्रों के साथ करें।

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    भगवान गणेश के मंत्र

    1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

    निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

    2. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

    द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

    विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

    द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

    विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

    3. ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥

    4. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥

    5. ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥

    6. ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं देही चिन्तां दूरं करोति स्वाहा ॥

    7. ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

    8. ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।

    9. ॐ नमो सिद्धि विनायकाय सर्व कार्य कर्त्रेय

    सर्व विघ्न प्रशमनाय सर्वाजाय वश्यकर्णाय

    सर्वजन सर्वस्त्री पुरुष आकर्षणाय श्रीं ॐ स्वाहा..!!

    10. विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं।

    नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।

    संकटनाशन गणेश स्तोत्र

    प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम ।

    भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥

    प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम ।

    तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥

    लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।

    सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥

    नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम ।

    एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥

    द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: ।

    न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥

    विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।

    पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥

    जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।

    संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय:॥

    अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत ।

    तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत:॥

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।