New Year 2025: धार्मिक ग्रंथों की इन सीख से करें नए साल की शुरुआत, जीवन में जल्द मिलेगी सफलता
साल 2024 का समापन आज हो रहा है। इसके बाद नए साल की शुरुआत होगी। हर कोई चाहता है कि नया साल 2025 अधिक खुशियां लेकर आए। ऐसे में लोग कई तरह उपाय और देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं जिससे नया साल शानदार रहता है। साथ ही धार्मिक ग्रंथों की महत्वपूर्ण सीख के द्वारा भी नववर्ष (New Year 2025 success tips) की शुरुआत कर सकते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। New Year 2025: आज के समय हर कोई व्यक्ति चाहता है कि आने वाला नया साल सुख-समृद्धि से भरा रहे। साथ ही उसके सोचे काम पूरे हो। ऐसे में व्यक्ति कई तरह के उपाय की मदद लेता है। इससे व्यक्ति को नववर्ष में सफलता प्राप्त होती है। साथ ही कई लोग नए साल के दिन कुछ कामों को लेकर नए संकल्प लेते हैं। अगर आप भी चाहते हैं कि आने वाले नए साल में जीवन में सफलता मिले, तो धार्मिक ग्रंथ रामायण (Ramayana teachings) और महाभारत (Mahabharata wisdom) की सीख को जीवन में जरूर अपनाएं।
माता-पिता की आज्ञा का करें पालन
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम राजा दशरथ के पुत्र थे। इसी वजह से उन्हें अध्योया की राजगद्दी सौंपी जानी थी, लेकिन माता कैकेयी के कहने पर भगवान श्री राम ने राजगद्दी न लेने का फैसला लिया और वनवास के बारे में सोचा। इससे यह सीख मिलती है कि व्यक्ति को जीवन में हमेशा माता-पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए, क्योंकि उनके आदेश का पालन करना ही सबसे पहला धर्म है। ऐसे में नए साल में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि माता-पिता के आदेश का पालन करें।
भगवन श्रीकृष्ण ने गीता का दिया था उपदेश
महाभारत में युद्ध की शुरुआत होने वाली थी। वहीं, अर्जुन मोह के जंजाल में फंसे थे, जिसकी वजह से उन्होंने युद्ध न करने का विचार छोड़ दिया था। ऐसे में जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था।
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हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।
तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:॥ (द्वितीय अध्याय, श्लोक 37)
इस श्लोक का अर्थ यह है कि अगर अर्जुन युद्ध में वीरगति को प्राप्त होते हो, तो तुम्हें स्वर्ग मिलेगा और युद्ध में सफलता प्राप्त होती है, तो धरती का सुख पा जाओगे। इसलिए उठो, हे कौन्तेय (अर्जुन), और निश्चय करके युद्ध करो।
कौरवों को करना पड़ा हार का सामना
महाभारत में कौरव राजा कुरु के वंशज थे। उन्होंने अपने जीवन के दौरान कई तरह की गलतियां कीं। इसके बाद किसी ने भी उनकी गलतियों से सीख नहीं ली। यही कारण था कि कौरवों को पांडवों का से हार का सामना करना पड़ा, जिसकी वजह से उनके वंश का नाश हो गया। इससे यह सीख मिलती है कि गलती करने पर उस काम में सुधार जरूर करना चाहिए।
सुग्रीव ने राम जी से मांगी माफी
भगवान लक्ष्मण की बातों को सुनकर सुग्रीव को अपनी गलती महसूस हुई थी। इसके बाद उन्होंने अपने गलती में सुधार करने के लिए भगवन श्रीराम से माफी मांगी, जिसके बाद माता सीता की खोज के लिए सुग्रीव ने वानर सेना को भेजा था।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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