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    Sankashti Chaturthi 2023: गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, दूर हो जाएंगे सभी दुख-दर्द

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 29 Nov 2023 01:50 PM (IST)

    शास्त्रों में निहित है कि भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही सुख समृद्धि और धन में वृद्धि होती है। इसके लिए साधक नित-प्रतिदिन श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा-उपासना करते हैं। अगर आप भी भगवान गणेश की कृपा के भागी बनना चाहते हैं तो गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर संकट नाशन स्तोत्र का पाठ करें।

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    Sankashti Chaturthi 2023: गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, दूर हो जाएंगे सभी दुख और दर्द

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2023: कल गणाधिप संकष्टी चतुर्थी है। यह पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही भगवान गणेश के निमित्त व्रत भी रखते हैं। शास्त्रों में निहित है कि भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही सुख, समृद्धि और धन में वृद्धि होती है। इसके लिए साधक नित-प्रतिदिन श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा-उपासना करते हैं। अगर आप भी भगवान गणेश की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर संकट नाशन स्तोत्र का पाठ करें।

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    गणेश मंत्र स्तोत्र

    शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम् ।

    येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥

    चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते ।

    विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥

    तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः ।

    साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥

    चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता ।

    सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥

    अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक ।

    तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि ॥

    इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणिः ।

    एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्यः सुसंयुतम् ॥

    तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम् ।

    क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्ततः ॥

    संकट नाशन स्तोत्र

    प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।

    भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुः कामार्थसिद्धये ।।

    प्रथमं वक्रतुडं च एकदन्तं द्वितीयकम् ।

    तृतीयं कृष्णपिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ।।

    लम्बोदरं पंचमं च षष्ठ विकटमेव च ।

    सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ।।

    नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् ।

    एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ।।

    द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः ।

    न च विध्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं परम् ।।

    विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।

    जपेग्दणपतिस्तोत्रं षड् भिर्मासैः फ़लं लभेत् ।

    संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः ।।

    अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत् ।

    तस्य विद्या भवेत् सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ।।

    गणेश गायत्री मंत्र

    ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    मंत्र

    श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'