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    Sankashti Chaturthi पर पूजा के समय कर लें इस स्तोत्र का पाठ, चंद दिनों में दूर होगी हर परेशानी

    हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि (Ekdant Sankashti Chaturthi 2025) पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस शुभ अवसर पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। साथ ही विशेष कामों में सफलता मिलती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 13 May 2025 02:20 PM (IST)
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    Sankashti Chaturthi 2025: भगवान गणेश को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार 16 मई को एकदंत संकष्टी चतुर्थी है। यह पर्व हर साल ज्येष्ठ महीने में मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा एवं भक्ति की जाती है। साधक करियर और कारोबार में तरक्की के साथ अन्य शुभ कामों में सफलता पाने के लिए चतुर्थी तिथि पर व्रत भी रखते हैं। इस व्रत को करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

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    ज्योतिष आर्थिक तंगी से निजात पाने के लिए भगवान गणेश की पूजा करने की सलाह देते हैं। इसके लिए साधक चतुर्थी तिथि और बुधवार के दिन भक्ति भाव से भगवान गणेश की पूजा करते हैं। भगवान गणेश की कृपा बरसने से साधक को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। अगर आप भी पैसों की तंगी से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो संकष्टी चतुर्थी के दिन श्रद्धा भाव से गणपति बप्पा की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करें।

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    भगवान गणेश के मंत्र

    1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

    निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

    2. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

    द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

    विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

    द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

    विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

    3. ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥

    4. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥

    5. ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥

    ऋणहर्ता श्री गणेश स्तोत्र

    सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजितः फलसिद्धये।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    त्रिपुरस्य वधात्पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चितः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    हिरण्यकश्यपादीनां वधार्थे विष्णुनार्चितः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    महिषस्य वधे देव्या गणनाथः प्रपूजितः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    तारकस्य वधात्पूर्वं कुमारेण प्रपूजितः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    भास्करेण गणेशस्तु पूजितश्छविसिद्धये।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    शशिना कान्तिसिद्ध्यर्थं पूजितो गणनायकः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    पालनाय च तपसा विश्वामित्रेण पूजितः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    इदं त्वृणहरं स्तोत्रं तीव्रदारिद्र्यनाशनम्।

    एकवारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं समाहितः॥

    दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेरसमतां व्रजेत्।

    फडन्तोऽयं महामन्त्रः सार्धपञ्चदशाक्षरः॥

    अस्यैवायुतसंख्याभिः पुरश्चरणमीरितम।

    सहस्रावर्तनात् सद्यो वाञ्छितं लभते फलम्॥

    भूत-प्रेत-पिशाचानां नाशनं स्मृतिमात्रतः॥

    ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्र

    ॐ स्मरामि देवदेवेशंवक्रतुण्डं महाबलम्।

    षडक्षरं कृपासिन्धुंनमामि ऋणमुक्तये॥

    महागणपतिं वन्देमहासेतुं महाबलम्।

    एकमेवाद्वितीयं तुनमामि ऋणमुक्तये॥

    एकाक्षरं त्वेकदन्तमेकंब्रह्म सनातनम्।

    महाविघ्नहरं देवंनमामि ऋणमुक्तये॥

    शुक्लाम्बरं शुक्लवर्णंशुक्लगन्धानुलेपनम्।

    सर्वशुक्लमयं देवंनमामि ऋणमुक्तये॥

    रक्ताम्बरं रक्तवर्णंरक्तगन्धानुलेपनम्।

    रक्तपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥

    कृष्णाम्बरं कृष्णवर्णंकृष्णगन्धानुलेपनम्।

    कृष्णयज्ञोपवीतं चनमामि ऋणमुक्तये॥

    पीताम्बरं पीतवर्णपीतगन्धानुलेपनम्।

    पीतपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥

    सर्वात्मकं सर्ववर्णंसर्वगन्धानुलेपनम्।

    सर्वपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥

    एतद् ऋणहरं स्तोत्रंत्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः।

    षण्मासाभ्यन्तरे तस्यऋणच्छेदो न संशयः॥

    सहस्रदशकं कृत्वाऋणमुक्तो धनी भवेत्॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।