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    Ekdant Sankashti Chaturthi पर शिववास योग समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग, मिलेगा दोगुना लाभ

    ज्येष्ठ का महीना बेहद खास होता है। इस महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि निर्जला एकादशी मनाई जाती है। वहीं कृष्ण पक्ष में एकदन्त संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2025 ) मनाई जाती है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर भक्ति भाव से भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 04 May 2025 08:28 PM (IST)
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    Ekdant Sankashti Chaturthi 2025: भगवान गणेश को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि के लिए व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। आइए, ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली एकदन्त संकष्टी चतुर्थी की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

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    कब है एकदन्त संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2025)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, 16 मई को विकट एकदन्त संकष्टी चतुर्थी है। यह पर्व हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस साल 16 मई को सुबह 04 बजकर 02 मिनट से ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि शुरू होगी। वहीं, 17 मई को सुबह 05 बजकर 13 मिनट पर ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त होगी।

    एकदन्त संकष्टी चतुर्थी शुभ योग

    ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सुबह 07 बजकर 15 मिनट तक सिद्ध योग है। इसके बाद साध्य योग का संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से सभी प्रकार के शुभ कामों में सफलता मिलेगी।

    शिववास योग

    ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतु्र्थी तिथि पर शिववास योग भी पूरे दिन है। इस दौरान देवों के देव महादेव कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 13 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 06 मिनट पर
    • चंद्रोदय- रात 10 बजकर 39 मिनट से
    • चंद्रास्त- सुबह 07 बजकर 51 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 06 मिनट से 04 बजकर 48 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 34 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 04 मिनट से 07 बजकर 25 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त- रात 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।