Sankashti Chaturthi पर सिद्ध योग समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग, शुरू होंगे अच्छे दिन
ज्येष्ठ का महीना बेहद पावन होता है। इस महीने में निर्जला एकादशी मनाई जाती है। इस शुभ तिथि पर निर्जला व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक पर लक्ष्मी नारायण जी की कृपा बरसती है। साथ ही जीवन में व्याप्त संकटों से मुक्ति मिलती है। वहीं कृष्ण पक्ष में एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Ekdant Sankashti Chaturthi 2025) मनाई जाती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार 16 मई को एकदंत संकष्टी चतुर्थी है। यह पर्व ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कामों में सिद्धि और सफलता पाने के लिए चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर कई शुभ और मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होगा। साथ ही भगवान गणेश की कृपा से शुभ कामों में सफलता मिलेगी। आइए, एकदंत संकष्टी चतुर्थी की सही डेट, शुभ मुहूर्त और योग जानते हैं-
यह भी पढ़ें: शनि की ढैय्या से मुक्ति के लिए करें ये उपाय, जीवन में होंगे चमत्कारी बदलाव
एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2025)
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 16 मई को सुबह 04 बजकर 02 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 17 मई को सुबह 05 बजकर 13 मिनट पर चतुर्थी तिथि समाप्त होगी। उदया तिथि से 16 मई को एकदंत संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।
शिववास योग
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर दुर्लभ शिववास योग का संयोग बन रहा है। शिववास योग रात भर है। इस योग का समापन 17 मई को सुबह 05 बजकर 13 मिनट पर होगा। इस दौरान देवों के देव महादेव कैलाश पर विराजमान रहेंगे।
सिद्ध योग
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सिद्ध योग का भी निर्माण हो रहा है। सिद्ध योग का संयोग सुबह 07 बजकर 15 मिनट तक है। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से शुभ कामों में सफलता मिलेगी।
नक्षत्र और करण
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मूल एवं पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का संयोग है। वहीं, बव एवं बालव करण के संयोग हैं। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 13 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 06 मिनट पर
- चंद्रोदय- रात 10 बजकर 39 मिनट से
- चंद्रास्त- सुबह 07 बजकर 51 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 06 मिनट से 04 बजकर 48 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 34 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 04 मिनट से 07 बजकर 25 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त- रात 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक
यह भी पढ़ें: मीन राशि के जातकों को कब मिलेगी साढ़ेसाती से मुक्ति? इन उपायों से करें शनिदेव को प्रसन्न
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।