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    Ekadashi Shradh 2025: किस दिन किया जाएगा पितृ पक्ष का एकादशी श्राद्ध, पढ़ें विधि और शुभ मुहूर्त

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 12:01 PM (IST)

    पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) की शुरुआत मानी जाती है जो आश्विन माह की अमावस्या यानी सर्वपितृ अमावस्या तक चलते हैं। इस बार पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो चुकी है जो 21 सितंबर तक चलने वाले हैं।

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    Pitru Paksha Ekadashi Shradh 2025 Niyam in hindi

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जिन लोगों की मृत्यु किसी भी माह की एकादशी तिथि पर हुई हो उनका श्राद्ध पितृपक्ष की एकादशी तिथि पर किया जाता है। साथ ही जिन लोगों ने संन्यास धारण किया हो और उन लोगों का श्राद्ध भी एकादशी तिथि पर (Ekadashi Shradh 2025 puja Vidhi) ही किया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि पितृपक्ष में एकादशी श्राद्ध किस दिन किया जाएगा।

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    एकादशी श्राद्ध मुहूर्त (Ekadashi Shradh Subh Muhurat)

    पितृ पक्ष की एकादशी तिथि 17 सितंबर को देर रात 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 17 सितंबर , 2025 को रात 11 बजकर 39 मिनट पर होगा। ऐसे में एकादशी श्राद्ध बुधवार, 17 सितंबर को ही किया जाएगा। इस दिन मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है-

    • कुतुप मूहूर्त - दोपहर 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 40 मिटन तक
    • रौहिण मूहूर्त - दोपहर 12 बजकर 40 मिनट से दोपहर 1 बजकर 29 मिटन तक
    • अपराह्न काल - दोपहर 1 बजकर 29 से दोपहर 3 बजकर 56 मिटन तक

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    श्राद्ध की विधि (Ekadashi Shradh 2025 puja Vidhi)

    एकादशी श्राद्ध के दिन सुबह किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि ऐसा करना आपके लिए संभव नहीं है, तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और ब्रहाणों की सहायता से पितरों का तर्पण व पिंडदान करें।

    ब्रहाणों को भोजन करवाने के बाद श्रद्धानुसार दान-दक्षिणा देकर विदा करें। इसके साथ ही पंचबलि यानी गाय, कुत्ते, कौवे, देव और चींटी के लिए भी भोजन जरूर निकालें। आप एकादशी श्राद्ध के दिन काले तिल, चावल और दूध आदि का भी दान कर सकते हैं।

    न करें ये गलतियां (Pitru Paksha Ke Niyam)

    पितृ पक्ष में सात्विक भोजन करना चाहिए और मास-मंदिरा के सेवन से दूरी बनानी चाहिए। इसके साथ ही इस दौरान सत्तू खाने की भी मनाही होती है। ब्राह्मणों को भोजन करवाते समय खाने के बर्तन को दोनों हाथ से पकड़ें औप भोजन करवाते समय मौन रहें।

    इस बात का खासतौर से ध्यान रखें कि कभी भी कर्ज लेकर श्राद्ध न करें, बल्कि हमेसा अपने सामर्थ्य के अनुसार ही श्राद्ध करना चाहिए। इसके सात ही पितृ पक्ष में सुबह शाम दो समय स्नान करके पितरों को याद जरूर करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।