Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Pitru Paksha 2025: इन मंत्रों के जप से करें भगवान विष्णु को प्रसन्न, बरसेगी पितरों की भी कृपा

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 07:00 PM (IST)

    श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों को तर्पण करने से तीन पीढ़ी के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही अकाल मृत्यु वाले पितरों की भटकती आत्मा को भी शांति मिलती है। श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha 2025) के दौरान श्रद्धा भाव से पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है।

    Hero Image
    Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पितरों की आत्मा को शांति दिलाने और पूर्वजों की कृपा पाने के लिए पितृ पक्ष के दौरान प्रतिदिन तर्पण किया जाता है। ऐसा करने से पितृ तृप्त होते हैं। कहा जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज पृथ्वी लोक पर निवास करते हैं। इसके लिए पितरों की सेवा, सम्मान और सत्कार किया जाता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गरुड़ पुराण में निहित है कि पितृ पक्ष के दौरान सामान्य जन (ज्येष्ठ पुत्र या संतान) को पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों का तर्पण करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को पितृ ऋण से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही व्यक्ति पर पितरों की कृपा बरसती है।

    अगर आप भी अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो पितृ पक्ष के दौरान रोजाना पूजा के समय भगवान विष्णु के नामों का जप करें। भगवान विष्णु के नामों का जप करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।

    भगवान विष्णु के 108 नाम

    1. ऊँ श्री प्रकटाय नमः

    2. ऊँ श्री वयासाय नमः

    3. ऊँ श्री हंसाय नमः

    4. ऊँ श्री वामनाय नमः

    5. ऊँ श्री गगनसदृश्यमाय नमः

    6. ऊँ श्री लक्ष्मीकान्ताजाय नमः

    7. ऊँ श्री प्रभवे नमः

    8. ऊँ श्री गरुडध्वजाय नमः

    9. ऊँ श्री परमधार्मिकाय नमः

    10. ऊँ श्री यशोदानन्दनयाय नमः

    11. ऊँ श्री विराटपुरुषाय नमः

    12. ऊँ श्री अक्रूराय नमः

    13. ऊँ श्री सुलोचनाय नमः

    14. ऊँ श्री भक्तवत्सलाय नमः

    15. ऊँ श्री विशुद्धात्मने नमः

    16. ऊँ श्री श्रीपतये नमः

    17. ऊँ श्री आनन्दाय नमः

    18. ऊँ श्री कमलापतये नमः

    19. ऊँ श्री सिद्ध संकल्पयाय नमः

    20. ऊँ श्री महाबलाय नमः

    21. ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नमः

    22. ऊँ श्री सुरेशाय नमः

    23. ऊँ श्री ईश्वराय नमः

    24. ऊँ श्री विराट पुरुषाय नमः

    25. ऊँ श्री क्षेत्र क्षेत्राज्ञाय नमः

    26. ऊँ श्री चक्रगदाधराय नमः

    27. ऊँ श्री योगिनेय नमः

    28. ऊँ श्री दयानिधि नमः

    29. ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नमः

    30. ऊँ श्री जरा-मरण-वर्जिताय नमः

    31. ऊँ श्री कमलनयनाय नमः

    32. ऊँ श्री शंख भृते नमः

    33. ऊँ श्री दु:स्वपननाशनाय नमः

    34. ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नमः

    35. ऊँ श्री हयग्रीवाय नमः

    36. ऊँ श्री कपिलेश्वराय नमः

    37. ऊँ श्री महीधराय नमः

    38. ऊँ श्री द्वारकानाथाय नमः

    39. ऊँ श्री सर्वयज्ञफलप्रदाय नमः

    40. ऊँ श्री सप्तवाहनाय नमः

    41. ऊँ श्री श्री यदुश्रेष्ठाय नमः

    42. ऊँ श्री चतुर्मूर्तये नमः

    43. ऊँ श्री सर्वतोमुखाय नमः

    44. ऊँ श्री लोकनाथाय नमः

    45. ऊँ श्री वंशवर्धनाय नमः

    46. ऊँ श्री एकपदे नमः

    47. ऊँ श्री धनुर्धराय नमः

    48. ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नमः

    49. ऊँ श्री केश्वाय नमः

    50. ऊँ श्री धनंजाय नमः

    51. ऊँ श्री ब्राह्मणप्रियाय नमः

    52. ऊँ श्री शान्तिदाय नमः

    53. ऊँ श्री श्रीरघुनाथाय नमः

    54. ऊँ श्री वाराहय नमः

    55. ऊँ श्री नरसिंहाय नमः

    56. ऊँ श्री रामाय नमः

    57. ऊँ श्री शोकनाशनाय नमः

    58. ऊँ श्री श्रीहरये नमः

    59. ऊँ श्री गोपतये नमः

    60. ऊँ श्री विश्वकर्मणे नमः

    61. ऊँ श्री हृषीकेशाय नमः

    62. ऊँ श्री पद्मनाभाय नमः

    63. ऊँ श्री कृष्णाय नमः

    64. ऊँ श्री विश्वातमने नमः

    65. ऊँ श्री गोविन्दाय नमः

    66. ऊँ श्री लक्ष्मीपतये नमः

    67. ऊँ श्री दामोदराय नमः

    68. ऊँ श्री अच्युताय नमः

    69. ऊँ श्री सर्वदर्शनाय नमः

    70. ऊँ श्री वासुदेवाय नमः

    71. ऊँ श्री पुण्डरीक्षाय नमः

    72. ऊँ श्री नर-नारायणा नमः

    73. ऊँ श्री जनार्दनाय नमः

    74. ऊँ श्री चतुर्भुजाय नमः

    75. ऊँ श्री विष्णवे नमः

    76. ऊँ श्री केशवाय नमः

    77. ऊँ श्री मुकुन्दाय नमः

    78. ऊँ श्री सत्यधर्माय नमः

    79. ऊँ श्री परमात्मने नमः

    80. ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नमः

    81. ऊँ श्री हिरण्यगर्भाय नमः

    82. ऊँ श्री उपेन्द्राय नमः

    83. ऊँ श्री माधवाय नमः

    84. ऊँ श्री अनन्तजिते नमः

    85. ऊँ श्री महेन्द्राय नमः

    86. ऊँ श्री नारायणाय नमः

    87. ऊँ श्री सहस्त्राक्षाय नमः

    88. ऊँ श्री प्रजापतये नमः

    89. ऊँ श्री भूभवे नमः

    90. ऊँ श्री प्राणदाय नमः

    91. ऊँ श्री देवकी नन्दनाय नमः

    92. ऊँ श्री सुरेशाय नमः

    93. ऊँ श्री जगतगुरूवे नमः

    94. ऊँ श्री सनातन नमः

    95. ऊँ श्री सच्चिदानन्दाय नमः

    96. ऊँ श्री दानवेन्द्र विनाशकाय नमः

    97. ऊँ श्री एकातम्ने नमः

    98. ऊँ श्री शत्रुजिते नमः

    99. ऊँ श्री घनश्यामाय नमः

    100. ऊँ श्री वामनाय नमः

    101. ऊँ श्री गरुडध्वजाय नमः

    102. ऊँ श्री धनेश्वराय नमः

    103.ऊँ श्री भगवते नमः

    104. ऊँ श्री उपेन्द्राय नमः

    105. ऊँ श्री परमेश्वराय नमः

    106. ऊँ श्री सर्वेश्वराय नमः

    107. ऊँ श्री धर्माध्यक्षाय नमः

    108. ऊँ श्री प्रजापतये नमः

    यह भी पढ़ें- Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में क्यों जरूरी है पितरों का श्राद्ध? यहां मिलेगा जवाब

    यह भी पढ़ें- Pitru Paksha 2025: पितरों का तर्पण करते समय करें इस चालीसा का पाठ, पितृ ऋण से मिलेगी मुक्ति

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।