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    Pitru Paksha 2025: जीवित रहते ही कोई व्यक्ति क्यों करता है अपना पिंडदान? यहां जानें रहस्य और महत्व

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 09:10 AM (IST)

    इस साल पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) 7 सितंबर से 21 सितंबर तक चलने वाला है। इस अवधि में पितरों की आत्मा की शांति के लिए कई तरह के अनुष्ठान आदि किए जाते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि जीवित पिंडदान क्या होता है और इसके करने से क्या लाभ मिल सकते हैं।

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    Pitru Paksha 2025: jeevit pind daan meaning

    दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। हिंदू धर्म में पितरों का सम्मान और उनकी आत्मा की शांति के लिए किए जाने वाले अनुष्ठानों का अत्यंत महत्व है। पितृ पक्ष में पिंडदान और तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। लेकिन क्या आपने कभी जीवित पिंडदान के बारे में सुना है? यह पारंपरिक पिंडदान से थोड़ा अलग और विशेष प्रकार का अनुष्ठान है।

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    जीवित पिंडदान क्या है?

    जीवित पिंडदान का अर्थ है कि जीवित रहते हुए किसी व्यक्ति द्वारा अपने पितरों या पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद के लिए पिंडदान करना। इसमें व्यक्ति स्वयं अपने हाथों से पिंड का निर्माण करता है और उसे जल, तिल, कुश तथा अन्य धार्मिक सामग्री के साथ अर्पित करता है। इसका मुख्य उद्देश्य पूर्वजों की आत्मा को तृप्त करना और जीवन में उनके आशीर्वाद को प्राप्त करना है।

    जीवित पिंडदान का महत्व

    यह अनुष्ठान केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि जीवन और परिवार के लिए आध्यात्मिक सुरक्षा और मार्गदर्शन का माध्यम भी है। जब घर या परिवार में लगातार समस्याएं आती हैं। जैसे संतान सुख में बाधा, आर्थिक कठिनाइयां, काम में रुकावट, या किसी सदस्य की बार-बार बीमारियां तो इसे पितृदोष का संकेत माना जाता है। ऐसे समय में जीवित पिंडदान अत्यंत लाभकारी होता है।

    इस अनुष्ठान का सबसे बड़ा महत्व यह है कि यह पितरों की आत्मा को तृप्त करता है। जब पूर्वज संतुष्ट होते हैं, तो वे अपने वंशजों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद भेजते हैं। इससे परिवार में शांति, समृद्धि और मानसिक संतोष आता है। परिवार के सदस्य अपने जीवन में आने वाली बाधाओं को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं और समस्याओं का समाधान सरल हो जाता है।

    मानसिक और आध्यात्मिक लाभ

    जीवित पिंडदान करने वाले व्यक्ति को मानसिक शांति और आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त होते हैं। भक्ति और श्रद्धा के साथ किए जाने वाले इस अनुष्ठान से व्यक्ति के मन में सकारात्मक सोच और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है। ध्यान, प्रार्थना और श्रद्धा का समावेश मन को तनावमुक्त करता है और जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    परिवार और वंश की रक्षा

    जीवित पिंडदान केवल पितरों की आत्मा को प्रसन्न करने तक सीमित नहीं है। यह परिवार और वंश की सुरक्षा का साधन भी है। इसे नियमित और श्रद्धा के साथ करने से न केवल वर्तमान पीढ़ी लाभान्वित होती है, बल्कि आने वाली पीढ़ियां भी जीवन मार्ग में सुगमता और कल्याण अनुभव करती हैं।

    जीवित पिंडदान करने के लिए उचित समय?

    जीवित पिंडदान पितृपक्ष के दौरान करना सबसे शुभ माना जाता है। इसके अलावा जन्मदिन, पुण्यतिथि या किसी विशेष संकट के समय भी इसे किया जा सकता है। जीवित पिंडदान हमें सिखाता है कि अपने पूर्वजों का सम्मान करना केवल धर्म नहीं, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति लाने का साधन भी है।

    अपने हाथों से किए गए पिंडदान में व्यक्ति की श्रद्धा और भक्ति शामिल होती है, जो पितरों की आत्मा को तृप्त करती है और जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाती है।

    लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।