Eid ul Fitr History: पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब से जुड़ा है यह त्योहार, ऐसे हुई इसकी शुरुआत
Eid ul Fitr History चांद के दीदार के अगले दिन ईद मनाने का रिवाज है। ईद को ईद-उल-फितर भी कहा जाता है। ईद-उल-फितर सबसे पहले 624 ई. में मनाया गया था।
नई दिल्ली, जेएनएन। Eid ul Fitr History: ईद का त्योहार प्यार-मोहब्बत और भाई-चारे का संदेश देता है। ऐसा माना जाता है कि इसी महीने में ही कुरान-ए-पाक का अवतरण हुआ था। चांद के दीदार के अगले दिन ईद मनाने का रिवाज है। ईद को ईद-उल-फितर भी कहा जाता है। ईद-उल-फितर सबसे पहले 624 ई. में मनाया गया था। इस त्योहार को मनाने के पीछे भी एक किस्सा है।
इसलिए मनाई जाती है ईद
इस्लामिक कैलेंडर को हिजरी कैलेंडर के नाम से जाना जाता है। इसमें साल का 9वां महीना रमजान होता है, जिसे पवित्र माना जाता है, जो पूरे 30 दिन का होता है। इस माह में लोग रोजा रखते हैं। इस पाक महीने के अंतिम दिन का रोजा चांद को देखकर ही खत्म किया जाता है। चांद दिखने के अगले दिन ईद का त्योहार मनाया जाता है।
पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब ने बद्र के युद्ध में फतह हासिल की थी। इस युद्ध में फतह मिलने की खुशी में लोगों ने ईद का त्योहार मनाना शुरू किया।
साल में दो बार आती है ईद
हिजरी कैलेण्डर के अनुसार साल में दो बार ईद का त्योहार मनाया जाता है। इस बार 5 या 6 जून को जो ईद मनायी जाएगी, उसे ईद-उल-फितर या मीठी ईद कहा जाता है। इस दिन सेवैया बनाने का रिवाज है। दूसरी ईद को ईद-उल-जुहा या बकरीद कहा जाता है।
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ईद पर दान देने का रिवाज
इस्लाम में ऐसा माना जाता है कि ईद के दिन जरूरतमंद लोगों को अपनी हैसियत के मुताबिक दान करना चाहिए। इससे गरीब और जरूरतमंद लोग भी खुशियों के साथ ईद का त्योहार मना पाएं। यह रिवाज इस त्योहार में चार चांद लगाता है।
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