Durva Ashtami 2025: दूर्वा अष्टमी कब है? यहां जानें शुभ मुहूर्त और योग
बुधवार के दिन राधा रानी की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाही मुराद पाने के लिए राधा रानी के निमित्त व्रत रखा जाता है। वहीं राधा अष्टमी (Durva Ashtami 2025) के दिन श्रीजी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही अष्टमी का व्रत रखा जाता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में भाद्रपद महीने का खास महत्व है। इस महीने में कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाई जाते हैं। इस माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। वहीं, शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के अगले दिन राधा अष्टमी मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर जगत की देवी राधा रानी की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए व्रत रखा जाता है।
सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर राधा रानी का अवतरण हुआ है। इसके लिए भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर राधा अष्टमी मनाई जाती है। आइए, राधा अष्टमी और दूर्वा अष्टमी की सही डेट, शुभ मुहूर्त (Radha Ashtami Shubh Muhurat) और योग जानते हैं।
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राधा अष्टमी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Radha Ashtami 2025 Date and Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, 30 अगस्त को देर रात 10 बजकर 46 मिनट पर भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू होगी। वहीं, 31 अगस्त को देर रात 12 बजकर 57 मिनट पर भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का समापन होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए 31 अगस्त को राधा अष्टमी मनाई जाएगी।
दूर्वा अष्टमी कब है (Durva Ashtami 2025 Date and Shubh Muhurat)
हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के अगले दिन दूर्वा अष्टमी मनाई जाती है। इस साल 31 अगस्त को दूर्वा अष्टमी मनाई जाएगी। चिर काल में समुद्र मंथन के समय भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार (कछुआ) लिया था। कूर्म अवतार कर भगवान विष्णु ने मन्दराचल पर्वत को धारण किया था। इस दौरान उनके रोम से पृथ्वी लोक पर घास उत्पन्न हुए थे। इसके लिए राधा अष्टमी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही पूजा के समय भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करते हैं।
दूर्वा अष्टमी शुभ योग (Durva Ashtami Shubh Yog)
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर भद्रावास का संयोग बन रहा है। भद्रावास योग सुबह 11 बजकर 54 मिनट तक है। इसके साथ ही अनुराधा नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। वहीं, बव करण के भी संयोग है। इन योग में राधा रानी संग भगवान कृष्ण की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी।
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