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    Radha Ashtami 2024: सच्चे प्रेम की मिसाल हैं राधा-कृष्ण, यह श्राप बना इनके बिछड़ने का कारण

    Updated: Tue, 10 Sep 2024 02:17 PM (IST)

    आज भी सच्चे प्रेम के रूप में राधा रानी और श्रीकृष्ण की मिसाल दी जाती है। विवाह न होने के बाद ही भगवान कृष्ण के साथ राधा रानी का ही लिया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि वह कौन-सा श्राप है जिसकी वजह से भगवान कृष्ण और राधा जी को इतने वर्षों तक वियोग का दुख सहना पड़ा।

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    Radha Ashtami 2024 यह श्राप बना राधा-कृष्ण के बिछड़ने का कारण

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ऐसा माना जाता है कि राधा रानी जी का नाम लिए बिना भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी होती है। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर राधा अष्टमी मनाई जाती है। ऐसे में इस साल राधा अष्टमी बुधवार, 11 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन को राधा के जी जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। कई लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि अत्यंत प्रेम के बाद भी राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण का विवाह क्यों नहीं हुआ। चलिए जानते हैं इसके पीछे की कथा।

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    मिलती है यह कथा

    पौराणिक कथा के अनुसार, राधा-कृष्ण को विरह का श्राप किसी और ने नहीं, बल्कि स्वयं कृष्ण जी के परम मित्र सुदामा ने ही दिया था। कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण और राधा जी एक साथ गोकुल में निवास करते थे। एक बार राधा जी की अनुपस्थिति में भगवान श्रीकृष्ण विरजा नाम की एक गोपिका के साथ विहार करने लगे।

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    राधा रानी को आया क्रोध

    जब राधा जी ने यह देखा, तो वह क्रोधित हो उठीं और उन दोनों का अपमान करने लगीं। गुस्से में राधा जी ने विरजा को धरती पर ब्राह्मण के रूप में कष्ट भोगने का श्राप तक दे दिया। इस दौरान सुदामा भी वहां मौजूद थे और उन्होंने श्रीजी को समझाने का प्रयास किया। लेकिन राधा जी का क्रोध शांत नहीं हुआ, जिसके चलते सुदामा ने भी राधा जी को श्राप दिया कि आपको अपने प्रिय कृष्ण से 100 वर्षों तक विरह झेलना होगा। माना जाता है कि सुदामा के इसी श्राप के कारण राधा रानी और श्रीकृष्ण का धरती पर जन्म हुआ, लेकिन उन दोनों का विवाह नहीं हो सका।

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    यह भी बताया जाता है कारण

    राधा रानी और कन्हैया जी का विवाह न होने के कई कारण बताए जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार, राधा-कृष्ण एक-दूसरे की शरीर और आत्मा की तरह थे। शरीर और आत्मा का आपस में विवाह कैसे हो सकता है। वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार, जगत को आंतरिक प्रेम का सही अर्थ सिखाने के लिए भी राधा और कृष्ण ने विवाह नहीं किया।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।