Mangal Dosh: क्या सचमुच 28 साल के बाद समाप्त हो जाता है मंगल दोष का प्रभाव?
ज्योतिषियों की मानें तो हनुमान जी की पूजा करने से मंगल दोष का प्रभाव (Mangal Dosh Upay) क्षीण हो जाता है। हालांकि प्रबल मांगलिक जातकों को दोष निवारण करा लेना चाहिए। मांगलिक जातक मंगलवार के दिन लाल रंग की चीजों का दान करें। इस उपाय को करने से भी हनुमान जी की कृपा साधक पर बरसती है। साथ ही मंगल देव भी प्रसन्न रहते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र में मंगल देव को ऊर्जा का कारक माना जाता है। कुंडली में मंगल मजबूत होने पर जातक साहसी और पराक्रमी होता है। साथ ही जातक हमेशा उत्साहित रहता है। जातक को करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है। वहीं, कमजोर मंगल होने पर जातक को जीवन में विषम परिस्थिति से गुजरना पड़ता है। ज्योतिष कुंडली में मंगल मजबूत करने के लिए हनुमान जी की पूजा करने की सलाह देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि मंगल दोष कैसे लगता है और क्या 28 वर्ष के बाद सचमुच मंगल दोष का प्रभाव (Mangal Dosh Upay) समाप्त हो जाता है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
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कैसे लगता है मंगल दोष?
कुंडली के प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में मंगल रहने पर जातक मंगल दोष से पीड़ित होता है। आसान शब्दों में कहें तो अगर किसी जातक की कुंडली के प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश के किसी भाव में मंगल विराजमान हैं, तो जातक मांगलिक है। मांगलिक जातक के विवाह में देर होती है। कई अवसर पर विवाह के बाद वैवाहिक जीवन भी कष्टमय बीतता है। इसके लिए मंगल दोष का निवारण जरूरी है। वहीं, आंशिक मांगलिक होने पर सामान्य उपाय करने से दोष का प्रभाव समाप्त या क्षीण हो जाता है।
मंगल दोष परिहार (Mangal Dosh Parihar)
कई ज्योतिषियों का मत है कि 28 वर्ष के बाद मंगल का प्रभाव समाप्त हो जाता है। इसके लिए किसी योग्य और प्रकांड ज्योतिष से सलाह लेनी चाहिए। कुंडली का विचार सही से करना चाहिए। कई अवसर पर ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार होती है कि मंगल दोष का परिहार स्वतः हो जाता है। इस स्थिति में मंगल दोष का निवारण जरूरी नहीं है। फिर चाहे जातक की उम्र 28 वर्ष हो उससे कम हो।
वहीं, प्रबल मांगलिक के लिए दोष निवारण जरूरी है। प्रकांड ज्योतिषियों की मानें तो स्वराशि के साथ मंगल के रहने पर दोष का परिहार होता है। वहीं, गुरु और शुक्र के साथ रहने पर भी मंगल का प्रभाव क्षीण या परिहार हो जाता है। इसके लिए मंगल का विचार बारीकी से करना चाहिए। जबकि, शीघ्र विवाह और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए मंगल दोष करा लेना चाहिए। योग्य पंडित जी की उपस्थिति में मंगल दोष का निवारण करना श्रेष्ठकर होता है। मंगल दोष निवारण के लिए जातक मंगलनाथ मंदिर में भी भात पूजन करा सकते हैं।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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