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    Kalashtami 2024: मासिक कालाष्टमी के दिन करें इस स्तोत्र का पाठ, शिव जी का मिलेगा आशीर्वाद

    मासिक कालाष्टमी (Kalashtami 2024) का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। यह दिन भगवान भैरव की पूजा के लिए समर्पित है। कहा जाता है कि जो भक्त इस दिन का उपवास रखते हैं और पूजा करते हैं उनके जीवन की सभी परेशानियां समाप्त होती हैं। साथ ही मनचाहा फल मिलता है। वहीं इस दिन काल भैरव अष्टक और लिंगाष्टकम् का पाठ करना भी बेहद शुभ माना जाता है।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 20 Dec 2024 01:09 PM (IST)
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    Kalashtami 2024: काल भैरव अष्टक और शिव लिंगाष्टकम्।।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में मासिक कालाष्टमी का व्रत को बेहद विशेष माना जाता है। इस दिन लोग भगवान शिव के सबसे उग्र रूपों में से एक भगवान भैरव की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त इस दिन का उपवास रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं, उन्हें भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष महीने में 22 दिसंबर को मासिक कालाष्टमी मनाई जाएगी।

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    वहीं, इस दिन काल भैरव अष्टक (Kaal Bhairav ​​Ashtak Stotra) और शिवाष्टक स्तोत्र (Shivashtak Stotra) का पाठ भी बेहद शुभ माना जाता है, तो आइए यहां पढ़ते हैं।

    ।।काल भैरव अष्टक।। (Kaal Bhairav Astak Strotra)

    देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं

    व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्।

    नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं

    नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्।

    कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं

    श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्।

    भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं

    भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्।

    विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं

    कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्।

    स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं

    नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम्।

    मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं

    दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम्।

    अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं

    काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्।

    नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥

    ।।शिवाष्टक स्तोत्र।। (Shivashtak Stotra)

    जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा-कर करतार हरे,

    जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि, सुख-सार हरे

    जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर जय-जय प्रेमागार हरे,

    जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,

    निर्गुण जय जय, सगुण अनामय, निराकार साकार हरे।

    पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

    जय रामेश्वर, जय नागेश्वर वैद्यनाथ, केदार हरे,

    मल्लिकार्जुन, सोमनाथ, जय, महाकाल ओंकार हरे,

    त्र्यम्बकेश्वर, जय घुश्मेश्वर भीमेश्वर जगतार हरे,

    काशी-पति, श्री विश्वनाथ जय मंगलमय अघहार हरे,

    नील-कण्ठ जय, भूतनाथ जय, मृत्युंजय अविकार हरे।

    पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

    जय महेश जय जय भवेश, जय आदिदेव महादेव विभो,

    किस मुख से हे गुरातीत प्रभु! तव अपार गुण वर्णन हो,

    जय भवकार, तारक, हारक पातक-दारक शिव शम्भो,

    दीन दुःख हर सर्व सुखाकर, प्रेम सुधाधर दया करो,

    पार लगा दो भव सागर से, बनकर कर्णाधार हरे।

    पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

    जय मन भावन, जय अति पावन, शोक नशावन,

    विपद विदारन, अधम उबारन, सत्य सनातन शिव शम्भो,

    सहज वचन हर जलज नयनवर धवल-वरन-तन शिव शम्भो,

    मदन-कदन-कर पाप हरन-हर, चरन-मनन, धन शिव शम्भो,

    विवसन, विश्वरूप, प्रलयंकर, जग के मूलाधार हरे।

    पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

    भोलानाथ कृपालु दयामय, औढरदानी शिव योगी,

    सरल हृदय, अतिकरुणा सागर, अकथ-कहानी शिव योगी,

    निमिष में देते हैं, नवनिधि मन मानी शिव योगी,

    भक्तों पर सर्वस्व लुटाकर, बने मसानी शिव योगी,

    स्वयम्‌ अकिंचन, जनमनरंजन पर शिव परम उदार हरे।

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