Dalai Lama: कैसे चुने जाते हैं बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा, बड़ा ही खास है नियुक्ति का तरीका
तिब्बत में मुख्य रूप से बौद्ध धर्म माना जाता है जिसके प्रचलन की शुरुआत 9वीं शताब्दी में हुई थी। तिब्बत में दलाई लामा (Dalai Lama) को बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। तिब्बत के वर्तमान और 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि दलाई लामा कौन होते हैं और इन्हें किस तरह चुना जाता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। बौद्ध परम्परा में दलाई लामा को एक महत्वपूर्ण व्यक्ति माना जाता है। एक दलाई लामा की मृत्यु के बाद दूसरे दलाई लामा को चुना जाता है, जिसकी प्रक्रिया काफी अगल होने के साथ-साथ लंबी भी है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर किस तरह नया दलाई लामा चुना जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को 'स्वर्ण कलश' प्रक्रिया कहा जाता है।
कौन होते हैं दलाई लामा
तिब्बत में बौद्ध धर्म मूल रूप से वज्रयान शाखा से प्रभावित है। वज्रयान शाखा की भी 4 शाखाएं हैं, जिनमें से एक गेलुग्पा है। इसी शाखा के तहत दलाई लामा चुने जाते हैं, जिन्हें तिब्बत में बौद्ध धर्म के सबसे प्रमुख व्यक्ति के तौर पर देखा जाता है। दलाई लामा का शाब्दिक अर्थ होता है "ज्ञान का महासागर"। दलाई लामा तिब्बत के प्रमुख आध्यात्मिक नेता हैं।
पुनर्जन्म से जुड़ी है प्रक्रिया
दलाई लामा के चुने जाने की प्रक्रिया में बौद्ध विद्वानों के साथ-साथ तिब्बती सरकार का भी योगदान होता है। मान्यताओं के अनुसार, दलाई लामा चुने जाने की प्रक्रिया पुनर्जन्म के सिद्धांत से जुड़ी होती है। ऐसा माना जाता है कि दलाई लामा पुनर्जन्म लेते हैं और हर बार एक नया रूप धारण करते हैं। इस दौरान दलाई लामा अपनी मृत्यु के समय पुनर्जन्म के कुछ संकेत देते हैं, जिनके माध्यम से नए दलाई लामा की तलाश की जाती है।
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कैसे होता है चुनाव
कई बार यह खोज सालों तक भी चलती है। तब तक कोई बौद्ध विद्वान लामा गुरु का काम संभालता है। दलाई लामा मृत्यु के आसपास या फिर 9 महीने बाद जन्मे बच्चों को ढूंढा जाता है और उससे दलाई लामा से जुड़ी वस्तुओं की पहचान कराई जाती है।
ज्योतिषीय संकेतों के साथ-साथ उस बालक का धार्मिक परीक्षण भी किया जाता है। कई तरह की परीक्षाओं सफल होने के बाद जब यह सिद्ध हो जाता है कि यह बालक असली लामा वंशज है, तो उसे बौद्ध धर्म की शिक्षाएं दी जाती हैं। आगे चलकर नए दलाई लामा सभी अनुयायियों का नेतृत्व करते हैं।
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