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    Amarnath Yatra 2025: कठिन होने के साथ-साथ पुण्यकारी भी है अमरनाथ यात्रा, जानिए इसका महत्व

    सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार अमरनाथ की यात्रा (Amarnath Yatra 2025 Date) करने से साधक को पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। अमरनाथ की यात्रा एक पवित्र यात्रा होने के साथ-साथ काफी कठिन भी मानी जाती है। इस बार यह यात्रा 03 जुलाई से शुरू होने जा रही है। वहीं रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया 15 मार्च से शुरू हो चुकी है।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 08 Apr 2025 01:06 PM (IST)
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    Amarnath Yatra 202 अमरनाथ यात्रा का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। अमरनाथ की गुफा में बनने वाले प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इन्हें बाबा बर्फानी (Baba Barfani darshan 2025) और अमरेश्वर नाम से भी जाना जाता है। हर साल लोग हिमालय में स्थित पवित्र गुफा मंदिर तक पहुंचने के लिए कठिन तीर्थयात्रा करते हैं। अमरनाथ की गुफा समुद्र तल से लगभग 3,978 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, इसलिए यह यात्रा काफी कठिन होती है। ऐसे में चलिए जानते हैं अमरनाथ यात्रा का इतना महत्व क्यों माना गया है।

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    क्यों खास है यह गुफा

    पौराणिक कथा के अनुसार, इसी पवित्र गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमर कथा सुनाई थी, जिसे वहां मौजूद एक कबूतर के जोड़े ने सुन लिया था। कहा जाता है कि वह कबूतर का जोड़ा आज भी गुफा में स्थित है, जो अमर पक्षी के नाम से प्रसिद्ध हैं। यह माना जाता है कि जो भक्त श्रद्धा पूर्वक अमरनाथ की यात्रा व बाबा बर्फानी के दर्शन करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसके लिए मोक्ष के द्वार खुलते हैं।  

    शिव जी ने त्यागी थी ये चीजें

    जब माता पार्वती को अमर कथा सुनाने के लिए भगवान शिव एक एकांत जगह की तलाश कर रहे थे, तो उन्होंने अमरनाथ की गुफा में पहुंचने से पहले नंदी, सर्प, चंद्रमा और जटाओं में विराजमान गंगा का त्याग किया था। सबसे पहले शिव जी ने पहलगांव में नंदी का त्याग किया। इसके बाद जिस स्थान पर महादेव ने चंद्रमा का त्याग किया, उसे आज चंदनवाड़ी के नाम से जाना जाता है।

    आगे बढ़ने के बाद भगवान शिव ने अपने गले में विराजमान सर्प का त्याग किया, जिस कारण उन स्थान का नाम शेषनाग पड़ा। आखिर में भगवान भोलेनाथ ने जहां अपनी जटाओं से मां गंगा का त्याग किया, उस स्थान को पंचतरणी के नाम से जाना गया।

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    अमरनाथ यात्रा का महत्व

    कई पुराणों जैसे बृंगेश संहिता, नीलमत पुराण आदि में अमरनाथ यात्रा के महत्व का वर्णन मिलता है। शास्त्रों व पुराणों के अनुसार, अमरनाथ यात्रा से साधक को 23 तीर्थों के दर्शन करने जितना पुण्य प्राप्त होता है।

    वहीं बाबा अमरनाथ के दर्शन से काशी में दर्शन का दस गुना, प्रयाग से सौ गुना और नैमिषारण्य से हजार गुना अधिक पुण्य मिलता है। इसके महत्व को देखते हुए यह कहा जाता है कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में एक बार अमरनाथ यात्रा जरूर करनी चाहिए।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।