Chitragupta Puja 2025: क्यों मनाई जाती है चित्रगुप्त पूजा, जानिए इस दिन का महत्व
हर साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर चित्रगुप्त पूजा की जाती है। इस दिन को मुख्य रूप से कायस्थ समाज के लोगों द्वारा मनाया जाता है। वह इन्हें इष्ट देव एवं कुलदेवता के रूप में पूजते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि चित्रगुप्त पूजा का क्या महत्व (Chitragupta Puja 2025 Significance) है।

Chitragupta Puja 2025 चित्रगुप्त पूजा से मिलते हैं ये लाभ।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पांच दिवसीय दीपोत्सव में से एक भाई दूज के दिन चित्रगुप्त पूजा (Chitragupta Puja Vidhi) का भी विधान है। चित्रगुप्त जी को मृत्यु के देवता, यमराज जी के सहायक के रूप में जाना जाता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि चित्रगुप्त जी समस्त प्राणियों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। इस दिन पर कलम और दावात की भी पूजा की जाती है, इसलिए इस दिन को मस्याधार (कलम और दावात) पूजा भी कहते हैं।
इसलिए मनाई जाती है चित्रगुप्त पूजा (Why Chitragupta Puja is performed)
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर ही चित्रगुप्त जी का जन्म हुआ था। इसलिए हर साल इस तिथि पर भगवान चित्रगुप्त की उत्पत्ति के रूप चित्रगुप्त पूजा की जाती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान चित्रगुप्त (Chitragupt) का जन्म ब्रह्मा जी के चित्त से हुआ था। यमराज जी के सहायक होने के साथ-साथ भगवान चित्रगुप्त देवताओं के लेखपाल भी हैं।
\
(Picture Credit: Freepik)
इसके अलावा भी चित्रगुप्त पूजा किए जाने के कई कारण हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यम देव ने अपनी बहन यमुना को यह वचन दिया था कि जो भी भाई, यम द्वितीया या भाई दूज पर अपनी बहन के यहां जाकर, बहन के हाथों माथे पर तिलक लगवाएगा और उसके यहां भोजन करेगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं सताएगा। चूंकि भगवान चित्रगुप्त, यम देव के सहायक हैं, ऐसे में भाई दूज के दिन भगवान चित्रगुप्त की भी पूजा का विधान है।
चित्रगुप्त पूजा का महत्व
(Picture Credit: Freepik)
मान्यताओं के अनुसार, भगवान चित्रगुप्त कलम-दवात की सहायता से समस्त जीवों के कर्मों का विवरण लिखते हैं और उनके जीवन व मृत्यु की अवधि का हिसाब-किताब भी लिखते हैं। चित्रगुप्त पूजा के दिन कलम-दवात और बही-खातों की भी पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन पर चित्रगुप्त जी की पूजा (Chitragupta Puja 2025 Significance) से साधक को विद्या, बुद्धि, साहस और लेखन का आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ ही व्यापार में भी तरक्की के योग बनने लगते हैं और सभी तरह की रुकावट दूर होती हैं।
यह भी पढ़ें - Bhai Dooj 2025: भाई दूज क्यों कहलाता है यम द्वितीया? जानिए महत्व और परंपरा
यह भी पढ़ें - Chitragupta Puja 2025: चित्रगुप्त पूजा पर क्या करें और क्या नहीं? जानिए नियम
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।