Chhath Puja 2025: छठ पूजा पर दुर्लभ 'रवि योग' समेत बन रहे हैं कई अद्भुत संयोग, बरसेगी सूर्य देव की कृपा
लोक आस्था का महापर्व छठ कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक मनाया जाता है, जिसमें नहाय-खाय, खरना, डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जात ...और पढ़ें

Chhath Puja 2025: छठ पूजा का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chhath Puja 2025: हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक लोक आस्था का महापर्व छठ (chhath puja date 2025) मनाया जाता है। इस पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है, जो कार्तिक महा के शु्क्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। इसके अगले दिन यानी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर खरना मनाया जाता है।

वहीं, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन डूबते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इसके अगले दिन यानी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर प्रातः काल में उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि यानी छठ पूजा पर दुर्लभ 'रवि योग' समेत कई अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में सूर्य देव और छठ मैया की पूजा करने से व्रती को दोगुना फल मिलेगा। आइए, छठ पूजा पर बनने वाले शुभ योग के बारे में जानते हैं-
छठ पूजा शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 27 नवंबर को प्रातः काल 06 बजकर 04 मिनट से शुरू होगा। वहीं, 28 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 59 मिनट पर षष्ठी तिथि का समापन होगा। इसके बाद सप्तमी तिथि शुरू होगी।
छठ पूजा शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो छठ पूजा के दिन सुकर्मा और रवि योग का निर्माण हो रहा है। रवि योग का संयोग देर रात 10 बजकर 46 मिनट तक है। इसके साथ ही सुकर्मा योग का संयोग पूर्ण रात्रि तक है। व्रती रवि योग में सूर्य देव को जल का अर्घ्य देंगी। इस योग में सूर्य देव की उपासना करने से आरोग्यता का वरदान मिलेगा। साथ ही सुख और समृद्धि में वृद्धि होगी।
करण
छठ पूजा के दिन कौलव और तैतिल करण का संयोग बन रहा है। सबसे पहले कौलव करण का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग शाम 07 बजकर 05 मिनट तक है। इसके बाद तैतिल करण का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष दोनों योग को शुभ मानते हैं। इन योग में शुभ कार्य कर सकते हैं। इसके साथ ही पूर्वाषाढा नक्षत्र का भी संयोग है।
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