Chhath Puja 2025: छठ पूजा कब है? तिथि, महत्व और संपूर्ण अनुष्ठान
Chhath 2025 Dates: छठ, सूर्योपासना का महापर्व, कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है। इसे षष्ठी व्रत भी कहते हैं। नहाय खाय से शुरू होकर खरना व्रत में गुड़-खीर का प्रसाद बनता है। षष्ठी तिथि पर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य आरोग्य के देवता हैं। यह पर्व संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए मनाया जाता है। 2025 में यह पर्व 25 से 28 अक्टूबर तक मनाया जाएगा।

इस खबर में प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है।
गोपाल तिवारी, मुजफ्फरपुर। Chhath 2025 Dates, Nahay Khay 2025, Kharna 2025, Sandhya Arghya 2025, Usha Arghya 2025: छठ सूर्योपासना का महापर्व है। कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी को होने की वजह से इसे षष्ठी व्रत या छठ कहा जाता है।
इस बारे में पंडित प्रभात मिश्र कहते हैं कि इसको करने से पारिवारिक सुख तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। स्त्री और पुरुष समान रूप से इस पर्व को मनाते हैं। छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है।
अगले दिन खरना का व्रत किया जाता है। खरना व्रत के दौरान संध्याकाल में व्रत करने वाले उपासक प्रसाद के रूप में गुड़-खीर, रोटी,मूली आदि और फल खाते हैं। उसके बाद अगले 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखते हैं।
मान्यता है कि खरना पूजन से षष्टी देवी छठी मैया की कृपा प्राप्त होती है। मां घर में वास करती हैं। छठ पूजा में षष्ठी तिथि अहम मानी जाती है। इस दिन नदी या जलाशय के तट पर शाम में सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है।
अगले दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पर्व का समापन करते हैं। सूर्य आरोग्य के देवता हैं। सूर्य की किरणों में कई रोगों को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है।
पर्व का महत्व:
- छठ पर्व सूर्य देव की पूजा का पर्व है, जो जीवन में ऊर्जा और प्रकाश लाते हैं।
- यह पर्व छठी मैया को भी समर्पित है, जो संतान की रक्षा करती हैं और उन्हें दीर्घायु प्रदान करती हैं।
- छठ पर्व प्रकृति, परिवार, स्वास्थ्य और लोक संस्कृति का अद्भुत संगम है।
तिथि और शुभ मुहूर्त
- छठ पर्व 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर 2025 तक मनाया जाएगा।
- नहाय-खाय: 25 अक्टूबर (शनिवार)
- खरना: 26 अक्टूबर (रविवार) शाम में 5 :35 से रात्रि 8:45 बजे तक
- सायंकालीन अर्घ्य: 27 अक्टूबर (सोमवार) शाम में 3:10 से 4:56 तक
- प्रातःकालीन अर्घ्य: 28 अक्टूबर (मंगलवार) सुबह 6:25 से 8:35 तक
छठ पर्व की पूजा विधि
1. नहाय-खाय: सुबह गंगाजल मिले जल से स्नान करें और नए वस्त्र पहनकर छठी मैया और सूर्य देव का पूजन करें।
2. खरना: पूरे दिन निर्जला व्रत रखें और सूर्यास्त के बाद गुड़ की खीर, रोटी और केला का भोग लगाकर भोजन करें।
3. सायंकालीन अर्घ्य: सूर्यास्त के समय घाट पर जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दें।
4. प्रातःकालीन अर्घ्य: सूर्योदय के समय घाट पर जाकर उगते सूर्य को अर्घ्य दें
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।