Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने बताए हैं अपने मुंह मियां मिठ्ठू बनने के नुकसान
आचार्य चाणक्य की गिनती विद्वान लोगों में की जाती है। चाणक्य नीति आज के समय में भी प्रासंगिक बनी हुई है। यही कारण है कि आज भी इसकी लोकप्रियता बनी हुई है। यदि आप आचार्य चाणक्य द्वारा कही गई कुछ बातों को अपने जीवन में अपनाते हैं तो इससे आपको अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आपने अपने जीवन में ऐसे कुछ लोगों को जरूर देखा होगा, जो अपनी तारीफ करते नहीं थकते। जब कोई व्यक्ति अपने ही मुंह से अपनी प्रशंसा करने लगता है, तो फिर वह अपने मुंह मियां मिठ्ठू कहलाता है। आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) ने ऐसे व्यक्ति के कुछ नुकसान बताए हैं। चलिए जानते हैं इस बारे में।
होते हैं ये नुकसान
आचार्य चाणक्य ने बताया है कि, जो व्यक्ति हर समय अपनी तारीफ करता रहता है, उसका महत्व घट जाता है। ऐसे लोगों से दूसरे लोग दूर भागने लगते हैं या फिर उनके साथ बातचीत करना पसंद नहीं करते। ऐसे में व्यक्ति को इस आदत से बचना चाहिए, वरना समाज में आपका सम्मान आप खुद ही घटा देते हैं।
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बन जाती है ये पहचान
जो लोग अपने मुंह मियां मिट्ठू बने रहते हैं, उन्हें दूसरों के द्वारा घमंडी समझा जाता है। इसके साथ ही जो लोग अपने गुणों को बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं, तो लोग उनकी बातों को महत्व देना बंद कर देते हैं। ऐसे में व्यक्ति को खुद के गुणों का बखान करने की जगह अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए। जब आपके कर्म अच्छे होंगे, तो वह लोगों की नजर में खुद-ब-खुद आ जाएंगे।
कौन हैं असली गुणवान
आचार्य चाणक्य का कहना है कि जिस गुण की दूसरे लोग भी प्रशंसा करें, वही असल में सच्चा गुणवान है। ऐसे व्यक्ति को खुद की तारीफ या फिर खुद के गुणों का बखान करने की कोई जरूरत नहीं होती। आचार्य चाणक्य के अनुसार, सच्चे गुण वही हैं, जो दूसरों को अपने आप दिखाई दें और आपको उनका बखान न करना पड़े। इसलिए अगर आप भी चाहते हैं कि दूसरे लोग खुद आपकी तारीफ या सम्मान करें, तो केवल अपने कर्म अच्छे रखें।
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