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    Chanakya Niti: इन जगहों पर न करें अपना समय बर्बाद, वरना सफलता नहीं लगेगी आपके हाथ

    Updated: Thu, 04 Dec 2025 04:00 PM (IST)

    अगर आप अपने जीवन में चाणक्य नीति की कुछ बातों को उतारते हैं, तो इससे जीवन को सफल बनाया जा सकता है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में बताया है कि व्यक्ति ...और पढ़ें

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    Chanakya Niti Tips in hindi (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आचार्य नीति  (Chanakya Niti tips in Hindi) में कई ऐसी बातें बताई गई हैं, जो आपके जीवन की कई मुश्किलों को हल करने में मदद कर सकती हैं। आज हम चाणक्य नीति में बताए कुथ कुछ श्लोकों की मदद से ये समझेंगे कि व्यक्ति को किन स्थानों पर अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहिए।

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    1. यस्मिन् देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवाः।
    न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत् ॥

    इस श्लोक में आचार्य चाणक्य कहना चाहते हैं कि जिस देश में आपका सम्मान न हो, जहां कोई आजीविका न मिले, जहां अपना कोई जान-पहचान वाला या दोस्त न हो और जहां विद्या प्राप्त करने के अवसर न हो, ऐसे स्थान को छोड़ देने में भी व्यक्ति की भलाई है। क्योंकि इस तरह के स्थान पर रहकर आप कभी जीवन में आगे नहीं बढ़ सकते।

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    (AI Generated Image)

    2. मूर्खस्तु परिहर्तव्यः प्रत्यक्षो द्विपदः पशुः।
    भिनत्ति वाक्यशूलेन अदृश्यं कण्टकं यथा॥

    इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने कहा गया है कि मूर्ख को त्याग देना चाहिए, क्योंकि वह दो पैरों वाले पशु के समान है। जिस प्रकार एक अदृश्य कांटा हमें दिखता नहीं है, लेकिन पर गहरा दर्द देता है, वैसे ही एक मूर्ख व्यक्ति के कटु और अज्ञान भरे शब्दों से भी आपको नुकसान हो सकता है, जैसे कोई अदृश्य कांटा दर्द देता है। ऐसे में आपको एक मूर्ख व्यक्ति के साथ अपना बहुमूल्य समय कभी बर्बाद नहीं करना चाहिए।

    3. मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च।
    दुःखितैः सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति॥

    इस श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मूर्ख शिष्य को पढ़ाने, दुष्ट स्त्री के साथ जीवन बिताने तथा दुखियों व रोगियों के बीच रहने से विद्वान व्यक्ति भी दुखी हो जाता है। इसलिए जितना हो सके इस स्थिति से खुद का बचाव करना चाहिए।

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    4. धनिकः श्रोत्रियो राजा नदी वैद्यस्तु पञ्चमः।
    पञ्च यत्र न विद्यन्ते न तत्र दिवसे वसेत ॥

    इस श्लोक में ऐसे 5 स्थानों का वर्णन किया गया है, जहां व्यक्ति को नहीं एक दिन भी नहीं रहना चाहिए। आचार्य चाणक्य के अनुसार, जहां कोई सेठ, वेदपाठी विद्वान (वेदपाठ करनेवाला ब्राह्मण), राजा और वैद्य न हो साथ ही जहां कोई नदी न हो, ऐसे 5 स्थानों पर व्यक्ति को एक दिन भी नहीं रहना चाहिए।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।