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    Chaitra Purnima 2024: इस दिन मनाई जाएगी चैत्र पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    Updated: Wed, 03 Apr 2024 09:00 PM (IST)

    चैत्र पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा अपनी सभी कलाओं से परिपूर्ण रहता है। इसलिए चैत्र पूर्णिमा के दिन चंद्र देव की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा और व्रत करने से साधक को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जानते हैं चैत्र पूर्णिमा की डेट और पूजा विधि के बारे में।

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    Chaitra Purnima 2024: इस दिन मनाई जाएगी चैत्र पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kab Hai Chaitra Purnima 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर हिंदू नववर्ष की पहली पूर्णिमा पड़ती है। इसे चैत्र पूर्णिमा और चैती पूनम के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन चंद्र देव अपने पूर्ण आकार में होते हैं। चैत्र पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं चैत्र पूर्णिमा की डेट और पूजा विधि के बारे में।

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    चैत्र पूर्णिमा 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त (Chaitra Purnima 2024 Date and Shubh Muhurat)

    चैत्र माह के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि आरंभ- 23 अप्रैल 2024 को सुबह 03 बजकर 25 मिनट से शुरू

    चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि समाप्त- 24 अप्रैल 2024 को सुबह 05 बजकर 18 मिनट तक

    तिथि- चैत्र पूर्णिमा 23 अप्रैल को मनाई जाएगी।

    स्नान मुहूर्त - 23 अप्रैल को सुबह 04 बजकर 20 मिनट से लेकर 05 बजकर 04 मिनट तक

    चैत्र पूर्णिमा 2024 पूजा विधि (Chaitra Purnima 2024 Puja Vidhi)

    चैत्र पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें। दीपक जलाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें। इसके साथ ही इस दिन कनकधारा स्तोत्र और मंत्रों का जाप करना चाहिए। अंत में आरती करें और फल, खीर, मिठाई आदि चीजों का भोग लगाएं। लोगों में प्रसाद का वितरण करें। इसके बाद ब्राह्मण या गरीबों को श्रद्धा अनुसार दान अवश्य दें।

    भगवान विष्णु के मंत्र (Lord Vishnu Mantra)

    1.ॐ नमोः नारायणाय।।

    2.ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय।।

    3. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

    तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।।

    4. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

    विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

    लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

    वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्।।

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'