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    Hindu Rituals: दाह संस्कार के बाद गंगा में क्यों प्रवाहित की जाती है राख, गरुड़ पुराण में मिलता है जिक्र

    Updated: Wed, 03 Apr 2024 02:22 PM (IST)

    हिंदू धर्म में गंगा नदी के जल को बहुत ही पवित्र दर्जा दिया गया है। मान्यताओं के अनुसार जिस भी चीज पर गंगाजल का छिड़काव किया जाता है वह चीज पवित्र हो जाती है। इसलिए पूजा अनुष्ठानों में इसका विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार जीवन की अंतिम प्रक्रिया यानी अंतिम संस्कार के दौरान भी गंगा का विशेष महत्व माना जाता है।

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    Hindu Funeral Rituals दाह संस्कार के बाद गंगा में क्यों प्रवाहित की जाती है राख?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Funeral Rituals of Hindu: मृत्यु एक ऐसा सच है जिसे कोई नहीं टाल सकता। जिस भी व्यक्ति ने धरती पर जन्म लिया है, उसकी मृत्यु भी तय है। हिंदू शास्त्रों में व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक कुल 16 संस्कार बताए गए हैं, जिनका पालन जरूरी माना गया है। व्यक्ति की मृत्यु के बाद हिंदू धर्म में कई तरह की परम्पराएं निभाई जाती हैं जो व्यक्ति की आत्मा की मुक्ति के लिए जरूरी मानी गई हैं। इसी तरह एक परम्परा है, जिसके अनुसार दाह संस्कार के बाद मृतक की राख को सांस पवित्र जल स्रोत या गंगा नदी में बहाया जाता है। आइए जानते हैं इसका महत्व।

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    इसलिए प्रवाहित की जाती है राख

    हिंदू धर्म में मृतक के शरीर को अग्नि में जलाया किया जाता है, जिसे दाह संस्कार कहा जाता है। यह हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से आखिरी संस्कार होता है। अंतिम संस्कार की रस्में पूरी होने के बाद, राख को किसी पवित्र जल स्रोत जैसे गंगा में प्रवाहित कर दिया जाता है। हिंदू वेद-पुराणों में माना गया है कि गंगा भगवान विष्णु के चरणों से निकली है, जिसे भगवान शिव अपनी जटाओं में करते हैं।

    ऐसे में यदि मृतक की राख को गंगा नदी में प्रवाहित किया जाता है, तो इससे उसकी आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही यह भी माना जाता है कि जब तक मृतक की राख को गंगा में प्रवाहित न किया जाए, तब तक मृतक की आत्मा की यात्रा शुरू नहीं होती। इसलिए दाह संस्कार के पूरे होने के बाद राख को गंगा नदी में बहाना जरूरी माना जाता है, ताकि मृतक की आत्मा को शांति मिल सके।

    गरुड़ पुराण में मिलता है जिक्र

    गरुड़ पुराण के अध्याय 10 में एक कथा का जिक्र है, जिसमें मृतक की अस्थियों या राख को गंगा जी में प्रवाहित करने का महत्व बताया गया है। कथा के अनुसार, पक्षीराज गरुड़, भगवान विष्णु से पूछते हैं कि हे स्वामी जब भी किसी की मृत्यु हो जाती है, तो मृतक के परिजन उसका दाह संस्कार कर देते हैं।

    लेकिन उसके बाद परिवारजन मृतक की अस्थियों या राख को संचित क्यों करते हैं और इसे गंगा नदी में प्रवाहित क्यों किया जाता है। इस पर भगवान विष्णु कहते हैं, मृतक का दाह संस्कार करने के बाद उसकी राख या अस्थियों को गंगा नदी में प्रवाहित करने से मृतक की आत्मा शांति मिल जाती है। क्योंकि पवित्र नदी गंगा उस व्यक्ति के सभी पाप नष्ट कर देती है।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'