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    Hanuman Jayanti 2024: साल में दो बार क्यों मनाई जाती है हनुमान जयंती? बड़ी ही खास है वजह

    हनुमान जी हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख देवताओं में से एक हैं। जिस प्रकार सनातन धर्म में हर दिन किसी-न-किसी देवी-देवता को अर्पित माना जाता है ठीक उसी प्रकार मंगलवार के दिन पवनपुत्र हनुमान जी को समर्पित माना गया है। साल में दो बार हनुमान जयंती मनाई जाती है और इन दोनों ही जयंती का विशेष महत्व माना गया है।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 02 Apr 2024 11:25 AM (IST)
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    Hanuman Jayanti 2024: साल में दो बार क्यों मनाई जाती है हनुमान जयंती?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जी, जो भगवान श्री राम के परम भक्त हैं, की पूजा का विशेष महत्व है। हनुमान जी को संकटमोचन भी कहा जाता है, क्योंकि वह व्यक्ति के सभी दुःख, दर्द हर लेते हैं। वहीं हनुमान जयंती का दिन भी विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस तिथि पर हनुमान जी का जन्म हुआ था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि साल में दो बार हनुमान जयंती मनाई जाती है। चलिए जानते हैं इसके पीछे का कारण

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    हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti 2024)

    वाल्मीकि रामायण के अनुसार, हनुमान जी का जन्म कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर स्वाति नक्षत्र में हुआ था। जो साल 2024 में इसलिए इस तिथि को हनुमान जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। वहीं, चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाई जाने वाली हनुमान जयंती के पीछे एक पौराणिक कथा मिलती है।

    इसलिए मनाई जाती है दूसरी हनुमान जयंती

    पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार बचपन में जब हनुमान जी को भूख लगी, तो वह सूर्य को फल जानकर उसे खाने के लिए दौड़ पड़े। उन्होंने सूर्य को निगलने की कोशिश की, जिससे पृथ्वी पर अंधेरा छाने लगा। जब यह बात इंद्रदेव को पता चली तो उन्होंने हनुमान जी को रोकने के लिए अपने वज्र से प्रहार कर दिया, जिस कारण हनुमान जी मूर्छित हो गए।

    जब इस बात का पता पवनदेव को चला तो, वह अत्यंत क्रोधित हो गए और उन्होंने पूरे ब्रह्रांड की प्राण वायु रोक दी। जिस कारण धरती पर हाहाकार मच गया। तब ब्रह्राजी ने पवनदेव को शांत कराते हुए हनुमान जी को जीवनदान दिया। माना जाता है कि चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर ही हनुमान जी को नया जीवनदान मिला था। यही कारण है कि हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भी हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'