Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्र में मध्य प्रदेश के इन दिव्य देवी मंदिरों का करें दर्शन, जानें इनका महत्व
चैत्र नवरात्र मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित है। चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) के दौरान माता रानी की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस साल इस महापर्व की शुरुआत 30 मार्च यानी आज से हुई है। ऐसी मान्यता है कि इस समय माता रानी की खास पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्र 2025 में अगर आप मां दुर्गा की खास कृपा पाना चाहते हैं, तो मध्य प्रदेश के कुछ दिव्य देवी मंदिरों के दर्शन करने के लिए जरूर जाएं। अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए जाना जाने वाला मध्य प्रदेश, मां दुर्गा के कई प्राचीन और महत्वपूर्ण मंदिरों का घर है। इन मंदिरों का न केवल ऐतिहासिक महत्व है, बल्कि इनकी अद्भुत वास्तुकला भी भक्तों का ध्यान अपनी ओर खींचती है, तो चलिए देवी के कुछ प्रमुख मंदिरों (Temples in MP) के बारे में जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।
मां शारदा मंदिर (मैहर) (Maa Sharda Temple, Maihar)
सतना जिले के मैहर में त्रिकूट पर्वत पर स्थित मां शारदा का यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। ऐसा कहा जाता है कि यहां सती माता का हार गिरा था। मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 1063 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, हालांकि रोपवे की सुविधा भी उपलब्ध है।
मंदिर की वास्तुकला नागर शैली से प्रभावित है और यहां पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है, खासकर नवरात्र में। कहा जाता है कि माता रानी का एक बार दर्शन करने से सभी पापों का नाश हो जाता है।
हरसिद्धि मंदिर (उज्जैन) (Harsiddhi Temple, Ujjain)
उज्जैन में स्थित हरसिद्धि मंदिर शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यहां माता सती की कोहनी गिरी थी। मराठा वास्तुकला से प्रभावित यह मंदिर अपने सुंदर दीपस्तंभों के लिए भी प्रसिद्ध है, जिन्हें नवरात्र के दौरान विशेष रूप से सजाया जाता है। यहां रोजाना भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जिसे देखकर हर कोई हैरान रहता है।
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पीताम्बरा पीठ (दतिया) (Pitambara Peeth, Datia)
दतिया में स्थित पीताम्बरा पीठ एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ है, जहां मां बगलामुखी और धूमावती देवी की पूजा की जाती है। इस मंदिर का बहुत बड़ा आध्यात्मिक और तांत्रिक महत्व है।
मंदिर की वास्तुकला में स्थानीय और कुछ हद तक दक्षिण भारतीय शैलियों का मिश्रण देखने को मिलता है। नवरात्र के दौरान यहां विभिन्न तरह के अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।
सलकनपुर वाली माता विजयासन देवी (Maa Vijayasan Devi Of Salkanpur)
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 70 किलोमीटर दूर सीहोर जिले के सलकनपुर में विध्यांचल पर्वत पर विजयासन देवी का भव्य मंदिर है। विध्यांचल पर्वत पर विराजमान होने के कारण इन्हें विंध्यवासिनी देवी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहते हैं कि सलकनपुर वाली माता विजयासन देवी माता पार्वती का ही अवतार हैं।
यह दिव्य धाम एक हजार फीट ऊंची एक पहाड़ी पर बना हुआ है। जानकारी के लिए बता दें कि इस मंदिर का निर्माण 1100 ई. के करीब गौंड राजाओं द्वारा किला गिन्नौरगढ़ निर्माण के दौरान करवाया गया था।
मां चामुंडा मंदिर (Maa Chamunda Temple)
मां चामुंडा मंदिर मध्य प्रदेश के देवास में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि यहां माता सती के रक्त की कुछ बूंदें गिरी थी, जिस वजह से माता टेकरी को भी शक्तिपीठ माना गया है। इसमें मां तुलजा भवानी और मां चामुंडा विराजमान हैं। वहीं, इस शहर का नाम देवास भी इन्हीं दो देवियों के वास से ही पड़ा है। ऐसी मान्यता है कि टेकरी पर मां चामुंडा देवी की मूर्ति 10वीं शताब्दी में स्थापित की गई थी।
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, माना जाता है कि जो लोग इस मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते हैं, उन्हें सुख और शांति की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
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