Chaitra Navratri 2025: कलश स्थापना से पहले जान लें ये नियम, मिलेगा माता रानी का आशीर्वाद
साल में चार बार नवरात्र का पर्व मनाया जाता है जिसमें दो प्रकट यानी चैत्र (Chaitra Navratri 2025) और शारदीय नवरात्र होती हैं वहीं दो गुप्त नवरात्र भी मनाए जाते हैं। नवरात्र की पूजा आरंभ करने से पहले कलश स्थापना या घट स्थापना करना जरूरी माना जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि कलश या घट स्थापना के दौरान आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है। इस प्रकार साल 2025 में चैत्र नवरात्र की शुरुआत रविवार, 30 मार्च से हो रही है। नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना (Kalash Sthapana significance) की जाती है, जिसका विशेष महत्व माना जाता है। घट स्थापना के बाद ही मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप यानी मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और इसके कुछ जरूरी नियम।
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त (Ghatasthapana Shubh Muhurat)
इस साल चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरम्भ 29 मार्च को दोपहर 04 बजकर 27 मिनट पर होगा। वहीं इस तिथि का समापन 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 30 मार्च को चैत्र नवरात्र की शुरुआत होगी। इस दिन घट स्थापना का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है।
घटस्थापना मुहूर्त - सुबह 06 बजकर 13 मिनट से सुबह 10 बजकर 22 मिनट तक
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक
(Picture Credit: Freepik)
घट स्थापना के नियम (Kalash Sthapana Niyam)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्र के पहले दिन शुभ मुहूर्त में पूरे विधि-विधान के साथ कलश की स्थापना करने से पूरे परिवार पर देवी मां का आशीर्वाद बना रहता है, जिससे सुख-समृद्धि और आरोग्य का वरदान मिलता है।
घट स्थापना के लिए हमेशा सोना, चांदी, तांबे या फिर मिट्टी से बने कलश का उपयोग करना चाहिए। इन्हें शुभ माना जाता है। लेकिन कभी भूल से भी लोहे या स्टील से बने कलश का उपयोग न करें, वरना इससे शुभ फल नहीं मिलता।
यह भी पढ़ें - Chaitra Navratri 2025: कब से शुरू है चैत्र नवरात्र, 29 या 30 मार्च? यहां दूर करें डेट की कन्फ्यूजन
(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
स्थापना से पहले करें ये काम
घट स्थापना करने से पहले उस स्थान को गंगा जल से शुद्ध कर लें, जहां आपको कलश स्थापित करना है। साथ ही कलश स्थापना के दौरान स्वयं को और मन को शुद्ध रखें और किसी भी तरह का नकारात्मक विचार मन में न लाएं। कलश स्थापना के दौरान अखंड ज्योति भी जरूर जलाएं, इससे आपको मनोकामना जल्द पूरी होती है।
दिशा का भी रखें ध्यान
कलश की स्थापना के दौरान दिशा का ध्यान रखना भी काफी जरूरी है। इसके लिए आप घर की पूर्व, उत्तर दिशा या फिर ईशान कोण (पूर्व -उत्तर) दिशा का चयन कर सकते हैं। वास्तु के अनुसार, इस दिशा में कलश की स्थापना करने से साधक को जीवन में अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
यह भी पढ़ें - Chaitra Navratri 2025: माता की चौकी वास्तु अनुसार करें स्थापित, मिलेगा पूजा का पूरा फूल
यह भी पढ़ें: मेष से लेकर मीन तक वार्षिक राशिफल 2025
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।