Chaitra Navratri Kanya Pujan: कन्या पूजन में क्या है लांगुर का महत्व? इनके बिना अधूरी है पूजा
नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) की अष्टमी व नवमी तिथि पर कन्या पूजन करते हैं। कन्या पूजन के दौरान कुछ छोटे लड़के या बालक भी बुलाए जाते हैं जिन्हें लांगुर लांगुरिया या लांगुर भी कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कन्या पूजन में लांगुर क्यों बुलाए जाते हैं। इसके पीछे बहुत ही खास वजह है चलिए जानते हैं इसका कारण।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्र की पावन अवधि मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित मानी जाती है। इस अवधि में साधक माता के निमित्त व्रत भी करते हैं। नवरात्र के आखिर में कन्या पूजन (Kanya Pujan) भी जरूरी रूप से किया जाता है और इस दौरान लांगुर भी बुलाए जाते हैं, जिनके बिना कन्या पूजन अधूरा होता है।
किसका स्वरूप होते हैं लांगुरा
लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार, नवरात्र की अष्टमी या फिर नवमी तिथि पर कन्या पूजन करते हैं। इस दिन पर 8-9 या इससे अधिक कन्याओं को घर पर बुलाकर उनका पूजन करते हैं व उन्हें भोजन कराते हैं। इस दौरान इन कन्याओं के साथ एक बालक भी बिठाया जाता है, जिसे लांगुर कहते हैं। जहां छोटी कन्याएं मां दुर्गा का स्वरूप मानी जाती हैं, वहीं लांगुरा को भैरव बाबा का स्वरूप माना गया है।
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क्यों जरूरी है लांगुरिया
भैरव बाबा मां दुर्गा के पहरेदार माने गए हैं। यही कारण है कि नवरात्र के कन्या पूजन के दौरान कन्याओं के साथ लांगुर को भी बिठाया जाता है, क्योंकि यह माना जाता है कि मान्यता है भैरव बाबा हमेशा मां दुर्गा की पहरेदारी के लिए उनके साथ रहते हैं। ऐसे में कन्याओं की तरह की लांगुरिया भी पूजन करना चाहिए और उन्हें भी श्रद्धा पूर्वक भोजन करवाकर दक्षिणा देनी चाहिए। ऐसा करने से आपको व्रत का पूर्ण फल मिलता है।
वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार, कुछ लोग 2 लांगूर भी बुलाते हैं, जिनमें से एक भैरव बाबा का स्वरूप माना जाता है और दूसरे को भगवान गणेश का। हिंदू धर्म में किसी भी पूजा-अर्चना या शुभ कार्य में सबसे पहले गणेश जी को ही याद किया जाता है। ऐसे में कहीं-कहीं कन्या पूजन के दौरान दो लांगुरिया बैठाने का विधान है।
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