Chaitra Navratri 2025: जल्दी शादी के लिए नवरात्र के दौरान करें इन मंत्रों का जप, मिलेगा मनचाहा पार्टनर
ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि (Chaitra Navratri 2025 Yoga) पर सौभाग्य और शिववास योग का संयोग बन रहा है। शिववास योग रात 09 बजकर 41 मिनट तक है। इस दौरान देवी मां कात्यायानी की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chaitra Navratri 2025 Day 6: चैत्र नवरात्र देवी मां दुर्गा को समर्पित होता है। इस दौरान देवी मां दुर्गा की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त नौ दिनों तक व्रत रखते हैं। देवी मां दुर्गा की पूजा एवं साधना करने से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साधक नवरात्र के दौरान देवी मां दुर्गा की कठिन भक्ति करते हैं।
ज्योतिष जल्दी शदी के लिए देवी मां कात्यायनी की पूजा करने की सलाह देते हैं। देवी मां कात्यायनी की भक्ति भाव से पूजा करने पर जातक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अगर आपकी शादी में भी देर हो रही है, तो नवरात्र के दौरान भक्ति भाव से देवी मां दुर्गा की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का पाठ एवं अर्गला स्तोत्र का पाठ जरूर करें।
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शीघ्र विवाह के मंत्र
1. ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों स: गुरूवे नम:
2. हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया।
मां कुरु कल्याणि कान्तकातां सुदुर्लभाम्॥
3. ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्द गोपसुतं देवि पति में कुरुते नम:।।
4. ॐ शं शंकराय सकल जन्मार्जित पाप विध्वंस नाय पुरुषार्थ
चतुस्टय लाभाय च पतिं मे देहि कुरु-कुरु स्वाहा ।।
5. ॐ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्रप्रिय भामिनि।
विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रं च देहि मे ।।
6. ॐ शं शंकराय सकल जन्मार्जित पाप विध्वंस नाय
पुरुषार्थ चतुस्टय लाभाय च पतिं मे देहि कुरु-कुरु स्वाहा ।।
7. मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
8. क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा
9. ॐ सृष्टिकर्ता मम विवाह कुरु कुरु स्वाहा
10. ॐ श्रीं वर प्रदाय श्री नमः
अथार्गलास्तोत्रम्
ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि।
जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते॥
मधुकैटभविद्राविविधातृवरदे नमः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
महिषासुरनिर्णाशि भक्तानां सुखदे नमः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
रक्तबीजवधे देवि चण्डमुण्डविनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
शुम्भस्यैव निशुम्भस्य धूम्राक्षस्य च मर्दिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
वन्दिताङ्घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्यदायिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
अचिन्त्यरुपचरिते सर्वशत्रुविनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
स्तुवद्भ्यो भक्तिपूर्वं त्वां चण्डिके व्याधिनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
चण्डिके सततं ये त्वामर्चयन्तीह भक्तितः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
विधेहि द्विषतां नाशं विधेहि बलमुच्चकैः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम्।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
सुरासुरशिरोरत्ननिघृष्टचरणेऽम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
प्रचण्डदैत्यदर्पघ्ने चण्डिके प्रणताय मे।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
चतुर्भुजे चतुर्वक्त्रसंस्तुते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
कृष्णेन संस्तुते देवि शश्वद्भक्त्या सदाम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
हिमाचलसुतानाथसंस्तुते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
इन्द्राणीपतिसद्भावपूजिते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
देवि प्रचण्डदोर्दण्डदैत्यदर्पविनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
देवि भक्तजनोद्दामदत्तानन्दोदयेऽम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥
इदं स्तोत्रं पठित्वा तु महास्तोत्रं पठेन्नरः।
स तु सप्तशतीसंख्यावरमाप्नोति सम्पदाम्॥
अथार्गलास्तोत्र के लाभ
देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक के जीवन में सुखों का आगमन होता है। वहीं, अथार्गलास्तोत्र का पाठ करने वाले साधक पर देवी मां दुर्गा की विशेष कृपा बरसती है। उनकी कृपा से साधक को मनचाहा वरदान मिलता है। इस स्तोत्र के पाठ से जल्द शादी के योग भी बनते हैं।
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