Chaitra Navratri 2025: दुर्गा अष्टमी पर 'सुकर्मा' योग समेत बन रहे हैं कई शुभ संयोग, मिलेगा दोगुना फल
धार्मिक मत है कि चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025 Day 7) के आठवें दिन जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा की जाती है। तंत्र सीखने वाले साधक महा अष्टमी के दिन देवी मां दुर्गा की कठिन साधना करते हैं। कठिन साधना से प्रसन्न होकर मां दुर्गा साधक को शुभ फल देते हैं। अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा की मंदिरों में देवी माता रानी की विशेष पूजा की जाती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chaitra Navratri 2025 Day 8: वैदिक पंचांग के अनुसार, शनिवार 05 अप्रैल को चैत्र नवरात्र की अष्टमी तिथि है। चैत्र नवरात्र की अष्टमी तिथि पर देवी मां दुर्गा की पूजा की जाती है। साथ ही मां दुर्गा के निमित्त अष्टमी का व्रत रखा जाता है।
ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र नवरात्र की अष्टमी तिथि पर दुर्लभ सुकर्मा और भद्रावास योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में मां दुर्गा (Navratri 2025 Day 8 Sukarma Yoga) की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलता है। आइए, शुभ योग और मुहूर्त जानते हैं-
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शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्र की अष्टमी तिथि रात 07 बजकर 26 मिनट तक है। इसके बाद नवमी तिथि शुरू होगी। चैत्र नवरात्र की अष्टमी तिथि पर जगत जननी आदिशक्ति देवी मां दुर्गा की पूजा की जाती है। साथ ही अष्टमी का व्रत रखा जाता है।
भद्रावास योग
चैत्र नवरात्र के अष्टमी तिथि पर भद्रावास योग) का संयोग है। शिववास योग का संयोग सुबह 07 बजकर 44 मिनट तक है। इस योग में देवी मां दुर्गा की पूजा करने से सुखों में वृद्धि होगी।
सुकर्मा योग
चैत्र नवरात्र के आठवें दिन दुर्लभ सुकर्मा योग का संयोग बन रहा है। इस योग का संयोग रात 08 बजकर 03 मिनट से शुरू हो रहा है। सुकर्मा योग में देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी।
अभिजीत मुहूर्त
चैत्र नवरात्र के छठे दिन अभिजीत मुहूर्त (Navratri Yog) का भी निर्माण हो रहा है। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 59 मिनट से लेकर 12 बजकर 49 मिनट तक है। इस दौरान देवी मां दुर्गा की पूजा करने से सभी संकटों से मुक्ति मिलेगी।
नक्षत्र एवं करण
चैत्र नवरात्र की अष्टमी तिथि पर पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग है। इसके साथ ही गर और वणिज करण के योग बन रहे हैं। ज्योतिष बव और बालव करण को शुभ मानते हैं। इन योग में जगत जननी देवी मां दुर्गा की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 07 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 41 मिनट पर
- चन्द्रोदय- सुबह 11 बजकर 41 मिनट पर
- चंद्रास्त- देर रात 02 बजकर 19 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 35 मिनट से 05 बजकर 21 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 20 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 40 मिनट से 07 बजकर 03 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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