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    Chaitra Navratri 2025: नवरात्र के दूसरे दिन 'शिववास' योग समेत बन रहे हैं 3 अद्भुत संयोग, मिलेगा दोगुना फल

    सनातन शास्त्रों में देवी मां दुर्गा की महिमा का गुणगान विस्तार पूर्वक किया गया है। धार्मिक मत है कि जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साधक नवरात्र के दूसरे दिन (Navratri 2025 Day 2) मां ब्रह्मचारिणी की भक्ति भाव से पूजा करते हैं।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 30 Mar 2025 01:54 PM (IST)
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    Chaitra Navratri 2025: नवरात्र के दूसरे दिन क्या करें और क्या न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chaitra Navratri 2025: वैदिक पंचांग के अनुसा, सोमवार 31 मार्च को चैत्र नवरात्र की द्वितीया तिथि है।  चैत्र नवरात्र की द्वितीया तिथि पर मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा एवं साधना की जाती है। साथ ही मां ब्रह्मचारिणी के निमित्त नवरात्र के दूसरे दिन का व्रत रखा जाता है।

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    ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन दुर्लभ शिववास योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में मां ब्रह्मचारिणी (Navratri 2025 Day 2 Shivvas Yog) की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। आइए, शुभ योग और मुहूर्त जानते हैं-

    शुभ मुहूर्त

    चैत्र नवरात्र की द्वितीया तिथि सुबह 09 बजकर 11 मिनट है। इसके बाद तृतीया तिथि प्रारंभ होगी। चैत्र नवरात्र की द्वितीया तिथि पर जगत जननी आदिशक्ति देवी मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है।

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    शिववास योग (Navratri 2025 Shivvas Yog)

    चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन दुर्लभ शिववास योग (Navratri Shivvas Yog Upay) का संयोग बन रहा है। इस योग का संयोग सुबह 09 बजकर 11 मिनट तक है। इस समय में देवों के देव महादेव कैलाश पर देवी मां गौरी के साथ रहेंगे। शिववास योग में मां गौरी और भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

    रवि योग

    चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन रवि योग (Navratri Shivvas Yog Upay) का भी निर्माण हो रहा है। रवि योग दोपहर 01 बजकर 45 मिनट से लेकर 02 बजकर 08 मिनट तक है। इस योग में देवी मां दुर्गा की पूजा-भक्ति करने से आरोग्य जीवन का वरदान मिलेगा। साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी।

    करण

    चैत्र नवरात्र की द्वितीया तिथि यानी दूसरे दिन अश्विनी और भरणी नक्षत्र का संयोग है। इसके साथ ही कौलव, तैतिल और गर करण के योग बन रहे हैं। ज्योतिष कौलव, तैतिल और गर करण को शुभ मानते हैं। इन योग में जगत जननी देवी मां दुर्गा और उनके रूपों की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलता है।

    पंचांग

    सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 12 मिनट पर

    सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 38 मिनट पर

    चन्द्रोदय- सुबह 07 बजकर 12 मिनट पर  

    चन्द्रास्त - शाम 09 बजकर 01 मिनट पर

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 40 मिनट से 05 बजकर 26 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 19 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 37 मिनट से 07 बजे तक

    निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।