Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Chaitra Navratri 2024 Day 7: चैत्र नवरात्र के सातवें दिन करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, शत्रुओं का होगा नाश

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 14 Apr 2024 04:38 PM (IST)

    इस दिन जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां काली की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्र के सातवें दिन साधक मां की कठिन भक्ति करते हैं। इसके लि ...और पढ़ें

    Hero Image
    Chaitra Navratri 2024 Day 7: चैत्र नवरात्र के सातवें दिन करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chaitra Navratri 2024 Day 7: चैत्र नवरात्र का सातवां दिन मां काली को समर्पित होता है। इस दिन जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां काली की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्र के सातवें दिन साधक मां की कठिन भक्ति करते हैं। इसके लिए निशा काल में कठिन साधना करते हैं। मां की भक्ति करने वाले साधकों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही तंत्र सीखने वाले साधक को विशेष विद्या की प्राप्ति होती है। सनातन शास्त्रों में मां काली की महिमा का गुणगान किया गया है। चिरकाल में महादानव रक्तबीज के संहार हेतु जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा ने मां काली का रूप धारण किया था। अतः साधक श्रद्धा भाव से मां काली की पूजा-उपासना करते हैं। अगर आप भी जगत जननी मां काली को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो चैत्र नवरात्र के सातवें दिन विधि-विधान से मां की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ करें।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह भी पढ़ें: जानें, विक्रम संवत 2081 के राजा और मंत्री कौन हैं और कैसा रहेगा वर्षफल ?

    स्तोत्र

    करालवदनां घोरांमुक्तकेशींचतुर्भुताम्।

    कालरात्रिंकरालिंकादिव्यांविद्युत्मालाविभूषिताम्॥

    दिव्य लौहवज्रखड्ग वामाघो‌र्ध्वकराम्बुजाम्।

    अभयंवरदांचैवदक्षिणोध्र्वाघ:पाणिकाम्॥

    महामेघप्रभांश्यामांतथा चैपगर्दभारूढां

    घोरदंष्टाकारालास्यांपीनोन्नतपयोधराम्॥

    सुख प्रसन्न वदनास्मेरानसरोरूहाम्।

    एवं संचियन्तयेत्कालरात्रिंसर्वकामसमृद्धिधदाम्॥

    हीं कालरात्रि श्रींकराली चक्लींकल्याणी कलावती।

    कालमाताकलिदर्पध्नीकमदींशकृपन्विता॥

    कामबीजजपान्दाकमबीजस्वरूपिणी।

    कुमतिघन्कुलीनार्तिनशिनीकुल कामिनी॥

    क्लींहीं श्रींमंत्रवर्णेनकालकण्टकघातिनी।

    कृपामयीकृपाधाराकृपापाराकृपागमा॥

    महाकाली स्तोत्र

    अनादिं सुरादिं मखादिं भवादिं,

    स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ।।

    जगन्मोहिनीयं तु वाग्वादिनीयं,

    सुहृदपोषिणी शत्रुसंहारणीयं |

    वचस्तम्भनीयं किमुच्चाटनीयं,

    स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ।।

    महाकाली स्तोत्र

    इयं स्वर्गदात्री पुनः कल्पवल्ली,

    मनोजास्तु कामान्यथार्थ प्रकुर्यात ।

    तथा ते कृतार्था भवन्तीति नित्यं,

    वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ।।

    सुरापानमत्ता सुभक्तानुरक्ता,

    लसत्पूतचित्ते सदाविर्भवस्ते |

    जपध्यान पुजासुधाधौतपंका,

    स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ।।

    चिदानन्दकन्द हसन्मन्दमन्द,

    शरच्चन्द्र कोटिप्रभापुन्ज बिम्बं |

    मुनिनां कवीनां हृदि द्योतयन्तं,

    स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ।।

    महामेघकाली सुरक्तापि शुभ्रा,

    कदाचिद्विचित्रा कृतिर्योगमाया |

    न बाला न वृद्धा न कामातुरापि,

    स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ।।

    क्षमास्वापराधं महागुप्तभावं,

    मय लोकमध्ये प्रकाशीकृतंयत् |

    तवध्यान पूतेन चापल्यभावात्,

    स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ।।

    यदि ध्यान युक्तं पठेद्यो मनुष्य,

    स्तदा सर्वलोके विशालो भवेच्च |

    गृहे चाष्ट सिद्धिर्मृते चापि मुक्ति,

    स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ।।

    यह भी पढ़ें: भूलकर भी न करें ये 6 काम, वरना मां लक्ष्मी हो जाएंगी नाराज

    डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'