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    Buddha Purnima 2025: बुद्ध पूर्णिमा पर रवि योग समेत बन रहे हैं कई अद्भुत संयोग, मिलेगा दोगुना फल

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 28 Apr 2025 09:00 PM (IST)

    धार्मिक मत है कि पूर्णिमा (Buddha Purnima 2025) तिथि पर गंगा स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकटों से मुक्ति मिलती है। वैशाख पूर्णिमा के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की भक्ति भाव से पूजा एवं साधना की जाती है।

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    Buddha Purnima 2025: बुद्ध पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 12 मई को वैशाख पूर्णिमा है। वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध पूर्णिमा भी मनाई जाती है। बौद्ध धर्म ग्रंथों में वर्णित है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इसके लिए इस शुभ तिथि पर बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है।

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    ज्योतिषियों की मानें तो बुद्ध पूर्णिमा तिथि पर रवि योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान बुद्ध की पूजा करने से साधक को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही साधक पर भगवान बुद्ध की कृपा बरसती है। आइए, बुद्ध पूर्णिमा पर बनने वाले योग के बारे में जानते हैं -

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    बुद्ध पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Buddha Purnima Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, 11 मई को शाम 08 बजकर 01 मिनट पर बुद्ध पूर्णिमा की शुरुआत होगी। वहीं, 12 मई को रात 10 बजकर 25 मिनट पर बुद्ध पूर्णिमा की समाप्ति होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना होती है। अतः 12 मई को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी। बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्रोदय समय शाम 06 बजकर 57 मिनट पर है।

    रवि योग

    ज्योतिषियों की मानें तो बुद्ध पूर्णिमा पर रवि योग का संयोग बन रहा है। इस योग में भगवान बुद्ध की पूजा करने से आरोग्य जीवन का वरदान मिलेगा। साथ ही सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलेगी। रवि योग का संयोग सुबह 05 बजकर 32 मिनट से लेकर 06 बजकर 17 मिनट तक है।

    भद्रावास योग

    वैशाख पूर्णिमा पर भद्रावास योग का भी निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग सुबह 09 बजकर 14 मिनट तक है। इस दौरान भद्रा पाताल में रहेंगी। इन योग में गंगा स्नान कर भगवान विष्णु और बुद्ध की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होगी।

    वरीयान योग

    ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख पूर्णिमा पर वरीयान योग का निर्माण हो रहा है। वरीयान योग का संयोग पूरी रात तक है। साधक वरीयान योग में भगवान विष्णु की पूजा एवं साधना कर सकते हैं।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 32 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 03 मिनट पर
    • चन्द्रोदय- शाम 06 बजकर 57 मिनट पर
    • चन्द्रास्त- सुबह 05 बजकर 31 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 08 मिनट से 04 बजकर 50 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 33 मिनट से 03 बजकर 27 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 02 मिनट से 06 बजकर 23 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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