Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी कब है? नोट करें सही डेट और शुभ मुहूर्त
सनातन शास्त्रों में निहित है कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Devshayani Ekadashi 2025) तिथि से जगत के पालनहार भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं। इस दिन से ही चातुर्मास की शुरुआत होती है। वहीं देवउठनी एकादशी के दिन चातुर्मास समाप्त होता है। चातुर्मास के दौरान कोई भी शुभ काम करने की मनाही है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में आषाढ़ माह का खास महत्व है। यह महीना जगत की देवी मां दुर्गा को समर्पित होता है। इस महीने में गुप्त नवरात्र मनाया जाता है। इस दौरान देवी मां दुर्गा की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। इसके साथ ही आषाढ़ माह में देवशयनी एकादशी भी मनाई जाती है।
यह पर्व हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन जग के नाथ भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। आइए, देवशयनी एकादशी की सही डेट (Devshayani Ekadashi 2025 Kab Hai) शुभ तिथि, मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
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देवशयनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Devshayani Ekadashi Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 05 जुलाई को शाम 06 बजकर 58 मिनट पर होगी। वहीं, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का समापन 06 जुलाई को शाम 09 बजकर 14 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए 06 जुलाई को देवशयनी एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन से ही चातुर्मास (Chaturmas 2025 Date) की शुरुआत होगी।
देवशयनी एकादशी पारण (Devshayani Ekadashi Parana Timing)
साधक 07 जुलाई को सुबह 05 बजकर 29 मिनट से लेकर 08 बजकर 16 मिनट तक पारण कर सकते हैं। 07 जुलाई को सुबह दैनिक कामों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। वहीं, पूजा के बाद भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। वहीं, पूजा के बाद अन्न और धन का दान कर एकादशी का व्रत खोलें।
देवशयनी एकादशी शुभ योग (Devshayani Ekadashi Shubh Muhurat)
ज्योतिषियों की मानें तो आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर साध्य और शुभ योग का संयोग बन रहा है। साथ ही त्रिपुष्कर योग का संयोग है। इसके अलावा, देवशयनी एकादशी पर रवि योग और भद्रावास योग का भी योग है। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी।
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