Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी कब है? नोट करें सही डेट और शुभ मुहूर्त

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 25 Mar 2025 10:00 PM (IST)

    सनातन शास्त्रों में निहित है कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Devshayani Ekadashi 2025) तिथि से जगत के पालनहार भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं। इस दिन से ही चातुर्मास की शुरुआत होती है। वहीं देवउठनी एकादशी के दिन चातुर्मास समाप्त होता है। चातुर्मास के दौरान कोई भी शुभ काम करने की मनाही है।

    Hero Image
    Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में आषाढ़ माह का खास महत्व है। यह महीना जगत की देवी मां दुर्गा को समर्पित होता है। इस महीने में गुप्त नवरात्र मनाया जाता है। इस दौरान देवी मां दुर्गा की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। इसके साथ ही आषाढ़ माह में देवशयनी एकादशी भी मनाई जाती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह पर्व हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन जग के नाथ भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। आइए, देवशयनी एकादशी की सही डेट (Devshayani Ekadashi 2025 Kab Hai) शुभ तिथि, मुहूर्त एवं योग जानते हैं-

    यह भी पढ़ें: कब है निर्जला एकादशी? अभी नोट करें डेट और पूजा टाइम

    देवशयनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Devshayani Ekadashi Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 05 जुलाई को शाम 06 बजकर 58 मिनट पर होगी। वहीं, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का समापन 06 जुलाई को शाम 09 बजकर 14 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए 06 जुलाई को देवशयनी एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन से ही चातुर्मास (Chaturmas 2025 Date) की शुरुआत होगी।

    देवशयनी एकादशी पारण (Devshayani Ekadashi Parana Timing)

    साधक 07 जुलाई को सुबह 05 बजकर 29 मिनट से लेकर 08 बजकर 16 मिनट तक पारण कर सकते हैं। 07 जुलाई को सुबह दैनिक कामों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। वहीं, पूजा के बाद भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। वहीं, पूजा के बाद अन्न और धन का दान कर एकादशी का व्रत खोलें।

    देवशयनी एकादशी शुभ योग (Devshayani Ekadashi Shubh Muhurat)

    ज्योतिषियों की मानें तो आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर साध्य और शुभ योग का संयोग बन रहा है। साथ ही त्रिपुष्कर योग का संयोग है। इसके अलावा, देवशयनी एकादशी पर रवि योग और भद्रावास योग का भी योग है। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी।

    यह भी पढ़ें: Kashi Vishwanath Mandir में कब की जाती है भोग आरती और क्या है धार्मिक महत्व?

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।