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    Kashi Vishwanath Mandir में कब की जाती है भोग आरती और क्या है धार्मिक महत्व?

    काशी विश्वनाथ मंदिर में मंगला आरती (Bhog Aarti Significance) ब्रह्म मुहूर्त में की जाती है। वहीं सप्तर्षि आरती संध्याकाल में की जाती है। सप्तर्षि आरती सात अलग-अलग गोत्र के प्रकांड पंडितों द्वारा की जाती है। काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव के दर्शन हेतु बड़ी संख्या में साधक आते हैं। भगवान शिव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 24 Mar 2025 05:35 PM (IST)
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    Kashi Vishwanath Mandir: विश्वनाथ मंदिर का इतिहास

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। सोमवार के दिन भगवान शिव और जगत की देवी मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही सोमवार का व्रत रखा जाता है। इस व्रत की महिमा शिव पुराण में वर्णित है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

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    ज्योतिष भी मानसिक तनाव से मुक्ति पाने के लिए सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने की सलाह देते हैं। कुंडली में चंद्रमा मजबूत होने से जातक को शुभ कामों में सफलता मिलती है। साथ ही मन प्रसन्न रहता है। महादेव के शरण में रहने वाले साधकों को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। भक्त जन श्रद्धा भाव से भगवान शिव की पूजा करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में भोग आरती (Kashi Vishwanath Temple Mangla Aarti) कब की जाती है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं।

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    काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Mandir)

    काशी विश्वनाथ मंदिर दुनियाभर में प्रसिद्ध है। काशी को भोले की नगरी भी कहा जाता है। इस मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। दैवीय काल में भगवान शिव का निवास स्थान काशी में था। गंगा नदी के तट पर बसा शहर काशी अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। बड़ी संख्या में देश और विदेश से श्रद्धालु बाबा के दर्शन हेतु काशी आते हैं।

    धार्मिक मत है कि काशी स्थित विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव के दर्शन मात्र से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सभी प्रकार के दुख, संकट, भग, रोग और दोष दूर हो जाते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रतिदिन मंगला और सप्तर्षि आरती की जाती है। इसके साथ ही भोग आरती का भी आयोजन किया जाता है।  

    कब होती है भोग आरती?

    काशी विश्वनाथ मंदिर में भोग आरती रोजाना रात में 09 बजे से लेकर रात 10 बजकर 15 तक की जाती है। काशी विश्वनाथ मंदिर में चार बार आरती की जाती है। इनमें अंतिम आरती भोग आरती है। इस आरती में देवों के देव महादेव को भोग यानी प्रसाद भेंट किया जाता है। जगत की देवी मां पार्वती को अन्नपूर्णा भी कहा जाता है। मां अन्नपूर्णा और भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में अन्न और धन की कमी नहीं रहती है। साथ ही सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। भक्तजनों को भोग आरती में शामिल होने के लिए  रात 08 बजकर 30 मिनट तक प्रवेश की अनुमति होती है। वहीं, 12 साल तक के बच्चे की एंट्री फ्री है।

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    भोग आरती (Mangla Bhog Significance)

    देवों के देव महादेव की महिमा निराली है। अपने भक्तों के सभी दुख हर लेते हैं। साथ ही उन पर अपनी असीम कृपा बरसाते हैं। उनकी कृपा से साधक के सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। भगवान शिव की पूजा करने से जीवन में सुखों का आगमन होता है। कहते हैं कि काशी विश्वनाथ में बाबा के दर्शन मात्र से व्यक्ति के सभी दुख दूर हो जाते हैं। साथ ही हर मनोकामना बहुत जल्द पूरी होती है। बड़ी संख्या में भक्तजन भोग आरती में शामिल होते हैं।  

    Source:- shrikashivishwanath.org

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।