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    Bhutadi Amavasya March 2025: मार्च महीने में कब है भूतड़ी अमावस्या? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 12 Mar 2025 02:30 PM (IST)

    गरुड़ पुराण में वर्णित है कि अमावस्या तिथि (Bhutadi Amavasya March 2025 Kab hai) पर पितरों का तर्पण करने से तीन पीढ़ी के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति पर पितरों की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से सुख-सौभाग्य और वंश में वृद्धि होती है। इस दिन देवों के देव महादेव की पूजा करने से साधक को अक्षय और अमोघ फल की प्राप्ति होती है।

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    Bhutadi Amavasya March 2025: पितरों को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में चैत्र महीने का खास महत्व है। यह महीना जगत की देवी मां दुर्गा को समर्पित होता है। इस महीने में चैत्र नवरात्र मनाया जाता है। इस दौरान जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा एवं भक्ति की जाती है। साथ ही उनके निमित्त नवरात्र का व्रत रखा जाता है। चैत्र अमावस्या के अगले दिन से नवरात्र की शुरुआत होती है।

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    अमावस्या तिथि पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान कर देवों के देव महादेव और मां गंगा की पूजा करते हैं। पूजा के बाद आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करते हैं। अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण एवं पिंडदान भी किया जाता है। आइए, भूतड़ी अमावस्या (Bhutdi Amavasya March 2025 kab hai) की सही तारीख और महत्व एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

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    भूतड़ी अमावस्या शुभ मुहूर्त (Bhutadi Amavashya 2025 Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 मार्च को रात 07 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 29 मार्च को शाम 04 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए 29 मार्च को चैत्र अमावस्या मनाई जाएगी। चैत्र अमावस्या को ही भूतड़ी अमावस्या कहा जाता है।

    भूतड़ी अमावस्या शुभ योग (Bhutadi Amavashya Shubh Yog)

    ज्योतिषियों की मानें तो भूतड़ी अमावस्या के दिन कई शुभ और मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। इस दिन ब्रह्म और इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही दुर्लभ शिववास योग का भी संयोग है। इन योग में गंगा स्नान करने से साधक के समस्त पाप नष्ट हो जाएंगे। साथ ही सभी प्रकार के दुख एवं संकट भी दूर हो जाएंगे। धार्मिक मत है कि भूतड़ी अमावस्या के दिन देवों के देव महादेव की पूजा करने से पितृ दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 15 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 37 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 42 मिनट से 05 बजकर 28 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 19 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 36 मिनट से शाम 06 बजकर 59 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।

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