Bhishma Ashtami 2025: भीष्म अष्टमी पर जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ, नाराज नहीं रहेंगे पितृ
भीष्म अष्टमी (Bhishma Ashtami 2025) के दिन लोग भीष्म पितामह के लिए एकोदिष्ट श्राद्ध करते हैं। माना जाता है कि इस श्राद्ध को करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है जिससे साधक को पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है। ऐसे में आप पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए इस तिथि पर पितृ स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाभारत की कथा के अनुसार, भीष्म पितामह को अपने पिता शांतनु द्वारा इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। बाणों की शैय्या पर लेटे रहने के बाद भी भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्यागने के लिए सूर्य उत्तरायण होने का इंतजार किया। कहा जाता है कि उस दिन माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी। इसलिए इस दिन को भीष्म अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में इस बार भीष्म अष्टमी बुधवार, 5 फरवरी 2025 को मनाई जा रही है।
भीष्म अष्टमी मुहूर्त
माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारम्भ 05 फरवरी को देर रात 02 बजकर 30 मिनट पर हो रहा है। वहीं इस का समापन 06 फरवरी को रात 12 बजकर 35 मिनट पर होगा। ऐसे में भीष्म अष्टमी बुधवार, 05 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन श्राद्ध कर्म के लिए यह समय सही रहने वाला है -
मध्याह्न समय - सुबह 11 बजकर 30 मिनट से दोपहर 01 बजकर 41 मिनट तक
पितृ स्तोत्र
अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ।।
मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।
तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।
देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।
भीष्म पितामह, शांतनु और माता गंगा के पुत्र हैं। कथा के अनुसार, उनकी मृत्यु के बाद पांडवों ने उनका श्राद्ध कर्म किया था। इस तिथि को पितरों का श्राद्ध करने के लिए बेहद खास माना गया है। ऐसा करने से जातक पर पितरों की कृपा सदा बनी रहती है।
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प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।
नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।
सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।
अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।
अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ।।
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय:।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ।।
तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस:।
नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज ।।
भीष्म अष्टमी के दिन आप पितृ स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्दवा देते हैं। साथ ही इस दिन श्राद्ध कर्म करने और पितृ स्तोत्र का पाठ करने से जातक को पितृ दोष में भी राहत मिल सकती है।
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