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    Pradosh Vrat 2025: कब है जुलाई महीने का अंतिम प्रदोष व्रत? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 09 Jul 2025 01:59 PM (IST)

    देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा एवं भक्ति प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025) के दिन करने से साधक के जीवन में मंगल का आगमन होता है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। इस दिन पूजा के बाद दान भी किया जाता है।

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    Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन का महीना बेहद पावन होता है। यह महीने भगवान शिव को प्रिय माना जाता है। कहते हैं कि सावन महीने के दौरान देवों के देव महादेव धरती पर निवास करते हैं।

    सावन महीने का हर एक दिन विशेष होता है। इसके लिए सावन महीने में रोजाना भगवान शिव और मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। वहीं, सावन सोमवार का व्रत रखा जाता है। इसके साथ ही सावन शिवरात्रि और प्रदोष व्रत पर शिव शक्ति की भी विधिपूर्वक पूजा की जाती है। आइए, जुलाई महीने के अंतिम प्रदोष व्रत की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते है।

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    कब है भौम प्रदोष व्रत? (Bhaum Pradosh Vrat 2025 Kab Hai)

    जुलाई महीने का अंतिम प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ने वाला है। इसके लिए यह भौम प्रदोष व्रत कहलाएगा। भौम प्रदोष व्रत करने से आर्थिक तंगी दूर होती है। साथ ही करियर और कारोबार संबंधी परेशानी दूर होती है। साधक श्रद्धा भाव से प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करते हैं।

    भौम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

    जुलाई महीने का अंतिम प्रदोष व्रत 22 जुलाई को मनाया जाएगा। इस दिन त्रयोदशी तिथि सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर शुरू होगी और 23 जुलाई को सुबह 04 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार 22 जुलाई के दिन भौम प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। 22 जुलाई के दिन पूजा का समय शाम 07 बजकर 18 मिनट से लेकर 09 बजकर 22 मिनट तक है।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 37 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 18 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 14 मिनट से 04 बजकर 56 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 44 मिनट से 03 बजकर 39 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 17 मिनट से 07 बजकर 37 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक

    शिव मंत्र 

    1. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

    उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

    2. नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं।।

    3. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

    4. ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

    शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।