Pradosh Vrat 2025: पाना चाहते हैं महादेव की कृपा, तो प्रदोष व्रत पर जरूर करें ये पाठ
प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी पर किया जाता है। आषाढ़ माह का दूसरा प्रदोष व्रत 8 जुलाई को किया जाएगा। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। इस दिन शिव-पार्वती की पूजा से साधक को सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद मिल सकता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किए जाने का विधान है, जो शिव जी को समर्पित है। प्रदोष के दिन भगवान शिव और पार्वती का पूजन करने का विधान है। इस दिन व्रत करने वाले साधक रात्रि जागरण भी करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत करने वाले साधक को सुखी जीवन का आशीर्वाद मिलता है। ऐसे में आप प्रदोष व्रत के दिन श्री शिवपञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ करके भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
प्रदोष व्रत का मुहूर्त
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 7 जुलाई को रात 11 बजकर 10 मिनट पर शुरू होने जा रही है। वहीं इस तिथि का समापन 9 जुलाई को मध्य रात्रि 12 बजकर 38 मिनट होगा। ऐसे में प्रदोष व्रत मंगलवार 8 जुलाई को किया जाएगा। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है, ऐसे में इस दिन शिव जी की पूजा का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है -
प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त - शाम 7 बजकर 23 मिनट से रात 9 बजकर 24 मिनट तक
शिव जी की पूजा विधि
- सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवितृ हो जाएं।
- इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें।
- एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें।
- भगवान शिव का कच्चे दूध, गंगाजल, और जल से अभिषेक करें।
- पूजा में बेलपत्र, धतूरा और भांग आदि अर्पित करें।
- भोग के रूप में फल, हलवा या फिर चावल की खीर अर्पित कर सकते हैं।
- माता पार्वती को 16 शृंगार की सामग्री अर्पित करें।
- घी का दीपक जलाएं और भगवान शिव व माता पार्वती की आरती करें।
- सभी लोगों में पूजा का प्रसाद बांटें।
॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥
मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।
मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,
तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥
(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
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शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,
तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,
तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥४॥
यक्षस्वरूपाय जटाधराय,
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय,
तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥५॥
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥
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