Basant Panchami 2025: कब और क्यों हुई विद्या की देवी मां शारदे की उत्पत्ति? ब्रह्मा जी से जुड़ी है कथा
सनातन धर्म में वसंत पंचमी (Basant Panchami 2025 Date) का खास महत्व है। यह पर्व पश्चिम बंगाल और बिहार समेत देश के कई राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर संगीत और विद्या की देवी मां शारदे की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। मां शारदे की भक्ति करने से साधक को करियर में मनमुताबिक सफलता मिलती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर विद्या की देवी मां शारदे की पूजा की जाती है। इस शुभ अवसर पर वसंत पंचमी मनाई जाती है। यह दिन पूर्णतया मां सरस्वती को समर्पित होता है। अतः दिन भर मां शारदे की पूजा, उपासना एवं साधना की जाती है। सार्वजनिक स्थानों पर मां शारदे की प्रतिमा स्थापित कर विद्या की देवी की विशेष पूजा की जाती है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, 02 फरवरी को माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। इस शुभ अवसर पर वसंत पंचमी मनाई जाएगी। ज्योतिष वसंत पंचमी के दिन से विद्या ग्रहण शुरू करने की सलाह देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि कब और क्यों विद्या की देवी मां शारदे की उत्पत्ति हुई थी? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
वसंत पंचमी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Basant Panchami 2025 Date and Shubh Muhurat)
माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 02 फरवरी को सुबह 09 बजकर 14 मिनट (Basant Panchami Puja Time) पर होगी। वहीं, समापन 03 फरवरी (Vasant Panchami 2025) को सुबह 06 बजकर 52 मिनट पर होगा। इस साल 02 फरवरी को वसंत पंचमी मनाई जाएगी।
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कथा
सृष्टि की रचना ब्रह्मा जी ने की है। उन्हें इक्कीस ब्रह्माण्डों का स्वामी भी कहा जाता है। सनातन शास्त्रों में तीन गुणों का वर्णन किया गया है। गीता उपदेश के दौरान भगवान कृष्ण ने भी अपने परम शिष्य अर्जुन को तीन गुणों के बारे में विस्तार से बताया है। ये तीन गुण सत, रज और तम हैं। ब्रह्मा जी रजो गुण से संपन्न हैं।
ब्रह्मा जी के पुत्रों को मानसपुत्र कहा जाता है। ब्रह्मा जी को ही सृष्टि निर्माण की जिम्मेवारी दी गई थी। जब उन्होंने सृष्टि की रचना की , तो चारों तरफ न केवल अंधेरा था, बल्कि सन्नाटा था। मानो, प्रकृति शोक मना रही थी। यह देख तीनों देव प्रसन्न नहीं हुए। उस समय उन्होंने प्रकृति को रंगमय करने के लिए आदिशक्ति का आह्वान किया।
उस समय आदिशक्ति विद्या की देवी मां शारदे प्रकट हुई थीं। मां शारदे के तीनों लोकों में संगीत का शंखनाद हुआ। इससे प्रकृति में नव रंग भर गया। प्रकृति संगीतमय हो गया। इसके दो दिन सृष्टि से तम यानी अंधकार को दूर करने के लिए सूर्य देव का प्राकट्य हुआ। आसान शब्दों में कहें तो वसंत ऋतु में सृष्टि की रचना की गई। इसी ऋतु में विद्या की देवी और सूर्य देव की उत्पत्ति हुई थी। अतः सनातन धर्म में वसंत ऋतु का खास महत्व है।
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