लग्न के रत्न: आपकी आत्मा के अनुरूप दिव्य ऊर्जा का चयन
हर व्यक्ति की जन्म कुंडली में लग्न का विशेष महत्व है। लग्न के आधार पर उचित रत्नों का चयन करने से ग्रहों की शक्ति संतुलित होती है और सोई हुई संभावनाएं जागृत होती हैं। मेष लग्न के लिए मूंगा वृषभ और तुला लग्न के लिए हीरा मिथुन लग्न के लिए पन्ना कर्क लग्न के लिए मोती सिंह लग्न के लिए माणिक है।

एस्ट्रोपत्री। हर व्यक्ति की जन्म कुंडली एक दिव्य खाका होती है और उसमें लग्न का स्थान सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। लग्न केवल शरीर का नहीं, पूरे जीवन की धुरी का प्रतिनिधित्व करता है। उसी आधार पर यदि उचित रत्नों का चयन किया जाए, तो वे ना केवल ग्रहों की शक्ति को संतुलित करते हैं, बल्कि हमारे भीतर की सोई हुई संभावनाओं को भी जाग्रत करते हैं। रत्न चयन कोई फैशन नहीं, यह आत्मा और ब्रह्मांड के बीच एक पवित्र पुल है।
यहां हम आपको बता रहे हैं आपकी लग्न के अनुसार कौन-से रत्न आपके जीवन में सौभाग्य, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक स्थिरता ला सकते हैं। यहां नीचे हर लग्न के अनुसार रत्न की जानकारी दी गई है।
लग्नानुसार रत्नों की दिव्य सूची
मेष लग्न
मुख्य रत्न: लाल मूंगा यह मंगल ग्रह का रत्न है।
निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखें -
- अंगूठी बनाने के लिए धातु – सोना।
- इसे पहली बार मंगलवार को, विशेष रूप से शुक्ल पक्ष में पहनें।
- पहनने का समय दोपहर 12:30 बजे।
- मूंगा बाएं हाथ की अनामिका उंगली (छोटी उंगली के पास वाली) में पहनना चाहिए। इसे दाएं हाथ की अनामिका (तर्जनी) में भी पहना जा सकता है।
वृषभ लग्न
मुख्य रत्न: हीरा यह शुक्र ग्रह का रत्न है।
निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखें -
- अंगूठी बनाने के लिए धातु सोना या प्लैटिनम।
- इसे पहली बार शुक्रवार को, विशेष रूप से शुक्ल पक्ष में पहनें।
- पहनने का समय दोपहर 1:30 बजे।
- हीरा मध्यमा या छोटी उंगली में पहनना चाहिए।
मिथुन लग्न
मुख्य रत्न: पन्ना यह बुध ग्रह का रत्न है।
निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखें -
- अंगूठी बनाने के लिए धातु चांदी।
- इसे पहली बार बुधवार को, विशेष रूप से शुक्ल पक्ष में पहनें।
- पहनने का समय शाम 4:30 से 5:30 बजे के बीच।
- पन्ना छोटी उंगली में पहनना चाहिए।
कर्क लग्न
मुख्य रत्न: मोती यह चंद्र ग्रह का रत्न है।
निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखें -
- अंगूठी बनाने के लिए धातु चांदी।
- इसे पहली बार सोमवार को, विशेष रूप से शुक्ल पक्ष में पहनें।
- पहनने का समय सुबह 10:30 बजे।
- मोती बाएं हाथ की अनामिका (छोटी उंगली के पास वाली) में पहनना चाहिए। इसे दाएं हाथ की अनामिका (तर्जनी) में भी पहना जा सकता है।
सिंह लग्न
मुख्य रत्न: माणिक यह सूर्य ग्रह का रत्न है।
निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखें -
- अंगूठी बनाने के लिए धातु सोना।
- इसे पहली बार रविवार को, विशेष रूप से शुक्ल पक्ष में पहनें।
- पहनने का समय सूर्योदय के समय।
- माणिक बाएं हाथ की अनामिका (छोटी उंगली के पास वाली) में पहनना चाहिए।
तुला लग्न
मुख्य रत्न: हीरा यह शुक्र ग्रह का रत्न है।
निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखें -
- अंगूठी बनाने के लिए धातु सोना या प्लैटिनम।
- इसे पहली बार शुक्रवार को, विशेष रूप से शुक्ल पक्ष में पहनें।
- पहनने का समय दोपहर 1:30 बजे।
- हीरा मध्यमा या छोटी उंगली में पहनना चाहिए।
वृश्चिक लग्न
मुख्य रत्न: मूंगा यह मंगल ग्रह का रत्न है।
निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखें -
- अंगूठी बनाने के लिए धातु सोना।
- इसे पहली बार मंगलवार को, विशेष रूप से शुक्ल पक्ष में पहनें।
- पहनने का समय दोपहर 12:30 बजे।
- मूंगा बाएं हाथ की अनामिका (छोटी उंगली के पास वाली) में पहनना चाहिए। इसे दाएं हाथ की अनामिका (तर्जनी) में भी पहना जा सकता है।
धनु लग्न
मुख्य रत्न: पुखराज यह बृहस्पति ग्रह का रत्न है।
निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखें -
- अंगूठी बनाने के लिए धातु – सोना।
- इसे पहली बार गुरुवार को, विशेष रूप से शुक्ल पक्ष में पहनें।
- पहनने का समय सुबह 6:30 बजे से सूर्योदय के बीच।
- पुखराज तर्जनी उंगली में पहनना चाहिए।
मकर लग्न
मुख्य रत्न: नीलम यह शनि ग्रह का रत्न है।
अंगूठी बनाने के लिए धातु लोहा या चांदी।
निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखें -
- इसे पहली बार शनिवार को, विशेष रूप से शुक्ल पक्ष में पहनें।
- पहनने का समय सूर्यास्त के बाद और रात 9 बजे से पहले।
- नीलम मध्यमा उंगली में पहनना चाहिए।
कुंभ लग्न
मुख्य रत्न: नीलम यह शनि ग्रह का रत्न है।
अंगूठी बनाने के लिए धातु लोहा या चांदी।
निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखें -
- इसे पहली बार शनिवार को, विशेष रूप से शुक्ल पक्ष में पहनें।
- पहनने का समय सूर्यास्त के बाद और रात 9 बजे से पहले।
- नीलम मध्यमा उंगली में पहनना चाहिए।
मीन लग्न
मुख्य रत्न: पुखराज यह बृहस्पति ग्रह का रत्न है।
निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखें -
- अंगूठी बनाने के लिए धातु सोना।
- इसे पहली बार गुरुवार को, विशेष रूप से शुक्ल पक्ष में पहनें।
- पहनने का समय सुबह 6:30 बजे से सूर्योदय के बीच।
- पुखराज तर्जनी उंगली में पहनना चाहिए।
समापन
रत्न केवल पत्थर नहीं, बल्कि ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित करने वाला एक दिव्य माध्यम है। जब इन्हें लग्न और ग्रहों के अनुसार सही ढंग से पहना जाए, तो ये जीवन में सौभाग्य, स्थिरता और आत्मबल बढ़ा सकते हैं। हालांकि, किसी भी रत्न को धारण करने से पहले योग्य ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य लें, क्योंकि हर रत्न सभी के लिए अनुकूल नहीं होता।
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Note: यह लेख Astropatri.com के सौजन्य से प्रस्तुत है. सुझाव व प्रतिक्रियाओं के लिए hello@astropatri.com पर ईमेल करें।
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