Amarnath Yatra 2025: 3 जुलाई से खुल रहे हैं बाबा अमरनाथ के पट, जानिए कैसे पहुंचे बाबा बर्फानी की गुफा
Amarnath Yatra 2025 अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा पर समाप्त होगी। बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए लाखों शिवभक्तों का इंतजार खत्म हो गया है। भगवान शिव ने माता पार्वती को इसी गुफा में अमर कथा सुनाई थी जिसके चलते इस यात्रा का विशेष महत्व है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Amarnath yatra 2025: बाबा बर्फानी के दर्शन का इंतजार कर रहे लाखों शिवभक्तों के लिए अच्छी खबर है। अमरनाथ धाम की वार्षिक यात्रा 2025 की शुरुआत 3 जुलाई से हो रही है। इस साल 38 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा 9 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा (रक्षाबंधन) के पावन दिन समाप्त होगी।
गुफा में स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन करने का गहरा आध्यात्मिक अनुभव है, जो हर शिवभक्त जीवन में एक बार जरूर लेना चाहता है। इस यात्रा का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि भगवान शिव ने माता पार्वती को यही गुफा में अमर कथा सुनाई थी।
मोक्ष का मिलता है मार्ग
इस यात्रा के दौरान भक्तों को गुफा में कबूतरों का जोड़ा दिखाई देता है। कहते हैं कि जब माता पार्वती को भोलेनाथ अमरकथा सुना रहे थे, उस समय कबूतर के एक जोड़े ने यह कथा सुन ली और वे अमर हो गए। इस वजह से जो भी व्यक्ति इस पवित्र स्थल के दर्शन करता है, कहते हैं कि वह मोक्ष पाता है।
मनोकामनाएं होती हैं पूरी
मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी कई भक्त अमरनाथ की पुण्य प्रदान करने वाली यात्रा करते हैं। मान्यता है कि बाबा बर्फानी की गुफा में मांगी गई इच्छा जरूर पूरी होती है। सच्चे मन से यहां जो भी इच्छा मांगी जाती है, वह भोलेनाथ की कृपा से पूरी होती है।
अमरनाथ कैसे पहुंचे?
अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले हवाई, बस या रेल मार्ग से जम्मू-कश्मीर पहुंच सकते हैं। वहां से कैब लेकर बालटाल बेस कैंप या पहलगाम बेस कैंप जाना होगा। बेस कैंप से सुबह यात्रा की शुरूआत कर सकते हैं। अमरनाथ पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा श्रीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। इसके अलावा श्रीनगर एयरपोर्ट से अमरनाथ बेस कैंप (पहलगाम या बालटाल) तक सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं।
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सड़क और रेल सुविधा
जम्मू के लिए देश के कई प्रमुख शहरों से बसें चलती हैं। जम्मू से पहलगाम या बालटाल पहुंचने के लिए सिटी बस या टैक्सी लेनी होगी। वहीं, रेल से अमरनाथ की यात्रा पर जाने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जम्मू तवी है। इसके बाद सड़क मार्ग का उपयोग कर बेस कैंप तक पहुंच सकते हैं। यहां हैलीकॉप्टर की सुविधा भी मिलती है।
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