Amarnath Yatra 2025: जुलाई में कब शुरू होगी अमरनाथ यात्रा? एक क्लिक में दूर करें कन्फ्यूजन
हर साल लाखों शिव भक्तों को अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra 2025) का इंतजार रहता है। यह यात्रा 38 दिनों तक चलती है। अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। मान्यता है कि यहीं पर भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य सुनाया था। आइए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल लाखों शिव भक्तों को अमरनाथ यात्रा का बेसब्री से इंतजार रहता है। हिमालय की गोद में स्थित बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए यह यात्रा बेहद कठिन लेकिन आस्था से भरपूर होती है। हर साल की तरह इस साल भी अमरनाथ यात्रा को लेकर भी लोगों के मन उत्साह बना हुआ है, खासकर जुलाई में इसकी डेट को लेकर कि ये (Amarnath Yatra 2025) कब शुरू होगी? तो आइए इससे जुड़ी सभी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार है।
अमरनाथ यात्रा 2025 कब शुरू होगी? (Amarnath Yatra 2025 Date And Time)
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई, 2025 से शुरू होगी। वहीं, इसकी समाप्ति 9 अगस्त 2025 पर होगी। यह यात्रा कुल 38 दिनों तक चलेगी।
इन बातों का रखें ध्यान (Amarnath Yatra 2025 Niyam)
- यात्रा के दौरान सात्विकता बनाएं रखें।
- इस दौरान तामसिक चीजों का सेवन गलती से भी न करें।
- यात्रा के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- यात्रा के दौरान मन को शांत रखें।
- इस दौरान वाद-विवाद या क्रोध करने से बचें।
- यात्रा के दौरान भगवान शिव का ध्यान और भजन करते रहें।
- इस यात्रा में कम से कम दो-तीन महीने पहले से ही अपनी शारीरिक फिटनेस पर काम करना शुरू कर देना चाहिए। जैसे रोजाना पैदल चलें, जॉगिंग करें, योग और प्राणायाम का अभ्यास करें।
- अमरनाथ यात्रा के लिए गर्म कपड़े थर्मल वियर, ऊनी जैकेट, स्वेटर, वॉटरप्रूफ जैकेट और पैंट, टोपी, दस्ताने और मोटे मोजे जरूर पैक करें।
- ऊंचाई पर चलने के दौरान अपनी गति धीमी रखें। जल्दबाजी न करें। थोड़ी-थोड़ी देर पर रुककर आराम करें और गहरी सांसें लें।
- खान-पान का खास ख्याल रखें।
- इस दौरान किसी के बारे में बुरा न बोलें।
अमरनाथ यात्रा का महत्व (Amarnath Yatra 2025 Importance)
ऐसी मान्यता है कि अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। यह वही पवित्र स्थान है, जहां भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य सुनाया था। गुफा में प्राकृतिक रूप से बर्फ से शिवलिंग बनता है, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र होता है। कहा जाता है कि चंद्रमा की कलाओं के साथ-साथ इस शिवलिंग का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है।
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