Amalaki Ekadashi 2025 Mantra: इन मंत्रों के जप से करें लक्ष्मी नारायण जी को प्रसन्न, खुशियों से भर जाएगा जीवन
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Amalaki Ekadashi 2025 Mantra) तिथि पर शोभन योग और शिववास योग का संयोग बन रहा है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इन योग में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की भक्ति भाव से पूजा की जाएगी। वैष्णव समाज के अनुयायी एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा करते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, सोमवार 10 मार्च को आमलकी एकादशी है। यह दिन पूर्णतया जग के स्वामी भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही साधक मनोवांछित फल पाने के लिए एकादशी का व्रत रखते हैं।
धार्मिक मत है कि आमलकी एकादशी व्रत करने से साधक द्वारा जाने-अनजाने में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही साधक पर लक्ष्मी नारायण जी की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से जीवन में सुखों में आगमन होगा। इसके लिए साधक एकादशी के दिन श्रद्धा भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं। अगर आप भी मनचाहा वरदान पाना चाहते हैं, तो एकादशी के दिन स्नान-ध्यान के बाद विधिवत लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।
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एकादशी मंत्र
1. ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।
2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ।
3. ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
4. ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।।
5. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
6. ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
7. ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
8. ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरु कांचन संन्निभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।
9. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
10. वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी |
पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ।।
एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम |
य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।
तुलसी माता की आरती
जय जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता ॥
जय तुलसी माता...
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर ।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता ॥
जय तुलसी माता...
बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या ।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता ॥
जय तुलसी माता...
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित ।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता ॥
जय तुलसी माता...
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में ।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता ॥
जय तुलसी माता...
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी ।
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता ॥
हमारी विपद हरो तुम,कृपा करो माता ॥
जय जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता ॥
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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