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    Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ रथ यात्रा के बाद आप घर ला सकते हैं उसके हिस्से, जानिए चुकानी होगी कितनी कीमत

    Updated: Tue, 24 Jun 2025 11:41 PM (IST)

    Jagannath Rath Yatra 2025 जगन्नाथ पुरी मंदिर में 27 जून को रथ यात्रा निकाली जाएगी। इन रथों का निर्माण दारूक नाम के पेड़ की लकड़ी से किया गया है। रथ यात्रा खत्म होने के बाद इसके हिस्सों को अलग-अलग करके नीलाम किया जाएगा।

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    जगन्नाथ के रथ के पहिए की कीमत इस साल 3 लाख रुपए तय की गई है।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी मंदिर में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन 27 जून 2025 को रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025) निकाली जाएगी। इस मौके पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं रथ यात्रा के बाद इस रथ का क्या होगा?

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    क्या उसके किसी हिस्से को आप बतौर याद अपने पास रख सकते हैं? क्या उस विशालकाय रथ का पूरा हिस्सा बिकता है? बाकी की लकड़ी का क्या होता है? श्री जगन्नाथ मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इन हिस्सों की नीलामी की जाती है।

    rath yatra parts sold

    पहियों की कीमत होगी इतनी

    श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन कमेटी (Shree Jagannath Temple Administration) ने कुछ दिनों पहले रथ यात्रा के बाद रथों के हिस्सों को अलग-अलग करके बिक्री के लिए उपलब्ध कराने की मानक संचालन प्रक्रिया यानी SOP जारी की थी। इसमें बताया गया था कि भगवान जगन्नाथ के रथ (Jagannath's Nandighosh chariot) के पहिए की कीमत तीन लाख रुपए होगी, जो पहले एक लाख रुपए थी।

    इसी तरह भगवान बलदेव के रथ तालध्वज (Balabhadra's Taladhwaja chariot) के पहिए की कीमत दो लाख रुपए होगी, जो पहले 60 हजार रुपए थी। वहीं, सुभद्रा के रथ दर्पदलन (Subhadra's Darpadalana chariot) के पहिए की कीमत डेढ़ लाख रुपए तय की गई है, जो पहले 50 हजार रुपये थी।

    puri rath yatra 2025

    पिछले साल मिले थे 55 लाख रुपए

    इसके अलावा रथ के अन्य घटकों भुज और अंसुरी के भागों की कीमत 15 हजार रुपए और प्रभा की कीमत 25 हजार रुपए होगी। मंदिर प्रशासन के डिप्टी एडमिनिस्ट्रेटर देवव्रत साहू ने एक मीडिया रिपोर्ट में बताया था कि पिछले साल रथ के पुर्जों को बेचने के लिए हमें जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली थी।

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    मंदिर प्रशासन कमेटी को 55 लख रुपए मिले थे। रथ के मुख्य पुर्जों की नीलामी के बाद में बची हुई लकड़ी को मंदिर की रसोई में पहुंचाया जाता है। इस लकड़ी का इस्तेमाल भगवान के महाप्रसाद यानी 56 भोग को बनाने के लिए किया जाता है। रथ के पवित्र हिस्सों को खरीदने के लिए भक्तों को आवेदन करना होता है, जो मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट करके किया जा सकता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।