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    Jagannath Ratha Yatra 2025: जगन्नाथ के मंदिर में इन सब्जियों का नहीं होता इस्तेमाल, क्या आप जानते हैं उनके नाम

    Updated: Thu, 12 Jun 2025 06:33 PM (IST)

    Jagannath Ratha Yatra 2025 ओडिशा के जगन्नाथ पुरी मंदिर में कई रहस्य छिपे हैं। यहां अनोखी परंपराओं का पालन होता है। मंदिर की रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है जहाँ 500 रसोइए और 300 सहयोगी मिलकर प्रसाद बनाते हैं। भगवान जगन्नाथ को छप्पन भोग की थाली चढ़ाई जाती है लेकिन इसमें टमाटर आलू जैसी कुछ सब्जियों का प्रयोग नहीं होता।

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    Jagannath Ratha Yatra 2025: रसोई में करीब 500 रसोइए और 300 सहयोगी मिलकर खाना बनाते हैं।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ओडिशा का जगन्नाथ पुरी मंदिर एक से एक चौंकाने वाले रहस्य भरा हुआ है। इस साल 27 जून 2025 को यहां होने वाली रथ यात्रा में लाखों भक्त यहां की कई अनोखी परंपराओं को देखेंगे। इस मंदिर में दिव्यता का एहसास करेंगे। वहीं, कई चीजे मंदिर में ऐसी होती हैं, जिनके बारे में जानकर आपको हैरानी होगी। 

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    दुनिया की सबसे बड़े रसोई जगन्नाथ पुरी के मंदिर की रसोई है। करीब 15 हजार वर्ग फीट जगह पर बनी इस रसोई में करीब 500 रसोइए और 300 सहयोगी मिलकर खाना बनाते हैं। कहते हैं कि इस रसोई में सामान्य दिन में करीब 20 हजार लोगों के लिए और विशेष दिन में करीब 50 हजार लोगों के लिए प्रसाद तैयार होता है। 

    किसी भी दिन ऐसा नहीं होता है कि किसी भक्त को प्रसाद न मिले। मान्यता है कि ऐसा इस वजह से होता है क्योंकि मां लक्ष्मी स्वयं इस रसोई की देखभाल करती हैं। यहां का मुख्य प्रसार भात है, लेकिन इसके अलावा भगवान जगन्नाथ को मालपुए कभी भोग लगाया जाता है। 

    इन सब्जियों का नहीं होता है प्रयोग

    छप्पन भोग की थाली भी भगवान जगन्नाथ को भोग में चढ़ाई जाती है। इसमें एक खास बात यह है कि इस थाली में कुछ सब्जियों का प्रयोग नहीं किया जाता है। मंदिर की रसोई में बनने वाली सब्जियों में टमाटर, आलू, फूलगोभी, पत्ता गोभी, चुकंदर, मक्का, हरी मटर, गाजर, शलजम, मिर्च, धनिया, बीन्स, करेला और भिंडी का प्रयोग नहीं किया जाता है। 

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    स्थानीय सामग्री का ही होता है इस्तेमाल

    दरअसल, मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ जी के मंदिर में जो भी महाप्रसाद बनता है, उसकी सारी सामग्री स्थानीय होनी चाहिए। इसी वजह से यहां टमाटर और आलू जैसी विदेशी सब्जियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। स्थानीय भाषा में टमाटर को बिलनी बुलाते हैं, जो कि विदेशियों द्वारा इसे यहां लाए जाने की वजह से दिया गया है।

    भारत में टमाटर विदेशी लाए थे। पहले के समय में विदेशियों के द्वारा ही इसे उगाया भी जाता था। इसलिए जगन्नाथ पुरी के मंदिर में टमाटर सहित कई सब्जियों का प्रयोग नहीं किया जाता है। मसालों में इलायची और लौंग का प्रयोग किया जाता है। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।