Aaj ka Panchang 23 February 2025: द्वादशी तिथि पर बन रहे हैं कई योग, पढ़ें दैनिक पंचांग
आज यानी 23 फरवरी को रविवार का व्रत किया जा रहा है। धार्मिक मान्यता है कि रविवार व्रत करने से साधक को सूर्य देव की कृपा प्राप्ति होती है। साथ ही रुके हुए काम जल्द पूरे होते हैं। फाल्गुन की द्वादशी तिथि पर कई शुभ योग (Today Shubh Yog) बन रहे हैं तो चलिए पंचांग (Aaj ka Panchang 2025) से जानते हैं आज का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि आज यानी 23 फरवरी को है। साथ ही रविवार भी है। सनातन धर्म में रविवार का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा करने से कारोबार में वृद्धि होती है। घर में सुख-शांति का आगमन होता है। द्वादशी तिथि पर कई शुभ और अशुभ योग बन रहे हैं। ऐसे में चलिए पंडित हर्षित शर्मा जी से जानते हैं आज का पंचांग और शुभ मुहूर्त (Today Puja Time) के विषय में।
आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 23 February 2025)
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 52 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 17 मिनट पर
चन्द्रोदय- सुबह 04 बजकर 09 मिनट पर
चंद्रास्त- दोपहर 01 बजकर 19 मिनट पर
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वार - रविवार
ऋतु - वसंत
शुभ समय (Today Shubh Muhurat)
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 11 मिनट से 06 बजकर 02 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 06 बजकर 29 मिनट से 03 बजकर 14 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 14 मिनट से 06 बजकर 40 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात 12 बजकर 09 मिनट से 12 बजकर 59 मिनट तक
अशुभ समय
राहुकाल - दोपहर 04 बजकर 51 मिनट से 06 बजकर 17 मिनट तक
03:26 पी एम से 04:51 पी एम
गुलिक काल - दोपहर 03 बजकर 26 मिनट से 04 बजकर 51 मिनट तक
दिशा शूल - पश्चिम
नक्षत्र के लिए उत्तम ताराबल - अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती
राशि के लिए उत्तम चन्द्रबलम - मिथुन, कर्क, तुला, धनु, कुम्भ, मीन
कामना पूर्ति के लिए करें भगवान सूर्य के इन मंत्रों का जाप
- ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।
- ॐ सूर्याय नम: ।
- ॐ घृणि सूर्याय नम: ।
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
- ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
- ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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